दिल्ली के पंचशील विहार की निवासी रेनू सैनी लेखन जगत की सलामी बल्लेबाज हैं। सोलहवें वसंत में जब किशोर-किशोरियां किशोरावस्था के मद में खोए रहते हैं, उस समय रेनू सैनी ने लेखन में डूबकर अपनी पहली रचना का सृजन किया और इनकी वो रचना देश के प्रमुख समाचारपत्र में प्रकाशित भी हुई। इसके बाद इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। देश के जाने-माने समाचारपत्रों व पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के साथ-साथ अब तक इनकी कुल 25 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है तथा इनका अगला लक्ष्य पुस्तकों का अर्द्ध शतक जड़ने का है। इन्हें लेखन के क्षेत्र में अनेकों सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं तथा इनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद भी किया जा चुका है। हमने कुछ प्रश्नों के माध्यम से इनकी साहित्यिक यात्रा के विषय में जानने का लघु प्रयास किया है।
आपको लेखन का रोग कब और कैसे लगा?
रेनू सैनी - मुझे बचपन से ही लिखना और पढ़ना बेहद पसंद था। केवल दस वर्ष की आयु से अपने आप ही विचारों को कॉपी में क्रमबद्ध करना आरंभ कर दिया था। स्कूल में हिन्दी की शिक्षिका लिखने व पढ़ने के लिए बहुत प्रेरित करती थीं। संयोगवश हिन्दी की शिक्षिका और मैं हमनाम थे। इसलिए मुझे उनकी हर बात को पूरा करने में एक विशेष आनंद की अनुभूति होती थी । जब वह मेरे लेखन की प्रशंसा करतीं थीं तो बहुत अच्छा लगता था । इसी तरह लिखना और पढ़ना चलता रहा । पहली रचना सोलह वर्ष की आयु में नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हुई थी । उसके बाद तो रचनाएं प्रकाशित होने का सिलसिला चल पड़ा ।
लेखन से आप पर कौन सा अच्छा या बुरा प्रभाव पड़ा?
रेनू सैनी - लेखन से मुझ पर सदैव अच्छा प्रभाव पड़ा है। लेखन हमारी कल्पना एवं तर्कशक्ति को बेहद मजबूत कर देता है । लेखन करने और पढ़ने से व्यक्ति के अंदर परिपक्वता आती है । लेखन ने मेरा शारीरिक एवं बौद्धिक विकास किया है ।
क्या आपको लगता है कि लेखन समाज में कुछ बदलाव ला सकता है?
रेनू सैनी - जी बिल्कुल, साहित्य समाज का दर्पण होता है । लेखन से केवल समाज ही नहीं बदलता अपितु भाषा को भी एक नवीन पहचान मिलती है । जैसा कि हाल ही में प्रसिद्ध साहित्यकार गीताजंलि श्री के वृहद् हिन्दी उपन्यास ‘रेत समाधि’ को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है । इससे हिन्दी भाषा एक नए फलक पर स्थापित हुई है । प्रेमचंद की कहानियों से लेकर चित्रा मुद्गल, मन्नू भंडारी, ममता कालिया, सत्य व्यास और दिव्य प्रकाश दुबे जैसे लेखकों ने साहित्य को समाज के यथार्थ से जोड़ा है ।
आपकी अपनी सबसे प्रिय रचना कौन सी है और क्यों है?
रेनू सैनी - मेरे द्वारा रचित मेरी सबसे प्रिय रचना ‘आखरदीप’ नामक कहानी है । यह कहानी शिक्षा के ऊपर है । इसमें एक बच्चा निम्न वर्ग के सब लोगों के अंदर शिक्षा की अलख जगाता है और वे सभी बच्चे एक दूसरे को शिक्षित करने लग जाते हैं ।
आप अपने लेखन से समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं?
रेनू सैनी - मैं अपने लेखन से समाज को यही संदेश देना चाहती हूँ, कि सभी लोग सकारात्मक रहें। देश की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करने में अपनी योग्यता दर्शाएं । मैं सेल्फ हेल्प की रचनाएं अधिक लिखती हूं ताकि मैं स्वयं भी विपरीत परिस्थितियों का सामना हिम्मत और धैर्य से कर सकूं । मैंने यही अनुभव किया है कि यदि हम पढ़ते-लिखते रहें और विपरीत परिस्थितियों में सकारात्मक साहित्य हाथ में हो तो हर कठिन से कठिन बाधा पर विजय पायी जा सकती है ।
1 टिप्पणी:
रेनू सैनी जी के रचना संसार से परिचय कराने हेतु आभार!
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