जरा सोचिए इस महँगाई के दौर में यदि हमें कुछ मुफ़्त में मिल जाता है तो यह अचंभित होनेेवाली बात ही होगी। पर यह सुखद अनुभूति आप और हम अक्सर न चाहते हुए भी प्राप्त करते रहते हैं और हमें ऐसी सुखद अनुभूति प्रदान करने का कार्य करते हैं हमारे अगल-बगल में वास करनेवाले कुछ सलाहवीर, जो बिन माँगे अपनी सलाह हमारी झोली में डालकर अपनी राह को निकल लेते हैं। अब ये और बात है कि ऐसे सलाहवीर शायद ही अपनी सलाह को अपने ऊपर भी कभी आजमाते हों।
ऐसे ही एक सलाहवीर हमारे दूर के एक चाचा हैं। स्वास्थ्य के ऊपर जब भाषण देने को आएँ तो एक घंटे से पहले उनका मुख विराम नहीं लेता, लेकिन उन्होंने अपनी सलाह अपने ऊपर आजमाने का कभी भी प्रयत्न नहीं किया। फल ये मिला कि एक दिन अचानक उनको हृदयाघात हुआ और उन्हें अपने हृदय की सर्जरी करवानी पड़ी। बावजूद इसके चाचा अपनी सलाहबाजी से बाज नहीं आए।
हमारे पड़ोस में एक ताई रहती हैं। वो हमारी कॉलोनी की जानी-मानी सलाहवीर हैं। कॉलोनी की हर लड़की के चरित्र पर शक करते हुए वो लड़कियों की माँओं को अपनी लड़की के चाल-चलन पर ध्यान रखने की सलाह देती रहती थीं। बहरहाल हुआ ये कि कॉलोनी की लड़कियों की चिंता में डूबी रहनेवाली ताई की इकलौती लड़की ही ताई के घरेलू नौकर के साथ घर से भाग गयी। अब इन दिनों ताई दूसरों की सलाह माँगती हुयीं मिल जाती हैं।
हमारे दफ्तर में भी एक सलाहवीर मौजूद हैं। उनकी सलाह का क्षेत्र शिक्षा है। वो अक्सर अपने सहकर्मियों को उनके बच्चों के भविष्य के विषय में शिक्षा संबंधी सलाह थोक के भाव में बाँटते हुए मिल जाते थे। उनसे भूल ये हुई कि उन्होंने अपने दोनों बेटों को सलाह देने का कभी भी समय नहीं निकाला। परिणाम ये हुआ कि उनके दोनों बच्चे अपनी-अपनी कक्षाओं में सभी विषयों में चारों खाने चित हो गए। इस दुर्घटना से उन सलाहवीर के ज्ञान चक्षु खुल गए और उन्हें अनुभव हुआ कि उनकी सलाह की बाहर की अपेक्षा घर में अधिक आवश्यकता है।
ऐसे बहुत से सलाहवीर हमें अक्सर रोज ही मिलते रहते हैं, जो बिन माँगे अपनी सलाह हम पर थोपना अपना परम कर्तव्य समझते हैं। आप कभी मुसीबत में पड़कर तो देखिए, आपके समक्ष सलाहवीर और उनकी अजब-गजब सलाह हाज़िरी बजाती हुयीं मिल जाएँगीं। उनके द्वारा भेंट की गयीं सलाह और कुछ करें या न करें पर आपकी मुसीबत में वृद्धि करने का सुकार्य अवश्य करेंगी। अब ये और बात है कि इन सलाहवीरों का व्यक्तिगत जीवन उलझनों से भरा ही मिल जाएगा। इसलिए कभी-कभी जी करता है कि इन सलाहवीरों को समझाते हुए कहूँ कि हे सलाहवीरो एक नेक सलाह मानिए कि आप अपनी सलाह का शुभारम्भ अपने घर से किया कीजिए क्योंकि यदि घर ठीक रहेगा तो समाज स्वस्थ रहेगा और स्वस्थ समाज ही देश की प्रगति में सहायक बनता है।
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
इटावा, नई दिल्ली, भारत
चित्र : गूगल से साभार