दिल्ली पुलिस के सुपरिचित साहित्यकार सुमित प्रताप सिंह का ब्लॉग
दादी ने अपनी खातिर
नया एक चश्मा बनवाया
दादी की प्यारी पोती को
वो चश्मा बहुत ही भाया
दादी ने ज्यों ही रखा चश्मा
पोती ने झट से उसे उठाया
दादी जैसी ही बनने को
फट से उसे आँखों पे लगाया।