राजसभा सजी हुई थी। सिंहासन पर टमाटर महाराज अभिमान में चूर हो विराजमान थे। नगरवधू मंहगाई उनके चरणों की दासी बनी हुई उनकी सेवा में रत थी। सारी सब्जियां व फल बारी-बारी से टमाटर महाराज को प्रणाम कर राजसभा में स्थित आसनों पर उदास मन के साथ बैठ चुके थे। दालें अपने-अपने मुखों पर प्रसन्नता का झूठा आवरण चढ़ाए नृत्य करते हुए टमाटर महाराज का मनोरंजन कर रहीं थीं। प्याज देव से अदेव की श्रेणी में पहुंच टमाटर महाराज की भुजाओं को गीले नयनों संग धीमे-धीमे दबाने में व्यस्त थे। कालाबाजारियों के लिए टमाटर महाराज के निकट विशेष आसनों की व्यवस्था की गई थी। आम जनता को द्वारपाल बैगनों ने मुख्य द्वार पर ही रोक लिया था। आम जनता विवश हो दूर से ही टमाटर महाराज को देख कर दिवा स्वप्न में डूबी हुई लार टपका रही थी। तभी टमाटर महाराज ने सीसीटीवी ऑपरेटर भिंडी को आदेश दिया कि सीसीटीवी फुटेज देखकर हाल ही में सत्ता से पदच्युत हुए पेट्रोल महाराज की वर्तमान स्थिति का पता लगाया जाए। भिंडी त्वरित कार्यवाई कर पेट्रोल महाराज की वर्तमान स्थिति का पता लगा कर टमाटर महाराज के सम्मुख प्रस्तुत हुई।
टमाटर महाराज - कहो भिंडी क्या समाचार लाई हो?
भिंडी - महाराज, पेट्रोल के वर्तमान स्थिति प्याज की भांति बहुत खराब है।
प्याज के साथ दरबार में बैठे बाकी सभाजनों ने चौंक कर भिंडी को देखा। कभी प्याज को परमप्रिय महाराज से संबोधित करने वाली भिंडी के इस रूप को देखकर सभी ने उसे मन ही मन प्रणाम किया। बेचारे प्याज ने धीमे से सांस छोड़ते आह भरी और फिर से अपने कार्य में जुट गया।
तभी सेनापति कद्दू ने पेट्रोल को बंदी बनाकर राजसभा में प्रस्तुत किया।
सेनापति कद्दू - महाराज, ये दुष्ट डीजल और गैस के साथ आपको सिंहासन से हटाने का षड्यंत्र रच रहा था।
टमाटर महाराज ने पेट्रोल से पूछा - क्या ये सच है?
बेचारा पेट्रोल, टमाटर महाराज से दृष्टि नहीं मिला पा रहा था।
टमाटर महाराज - तू और तेरे साथी चाहे जितने भी प्रयत्न कर लें, किन्तु मुझे इस सिंहासन से नहीं डिगा पायेंगे।
इतना कहकर टमाटर महाराज ने जोर-जोर से हंसना आरंभ कर दिया।
टमाटर महाराज की हंसी में अनमने मन से राजसभा के बाकी सभाजनों ने भी साथ दिया।
तभी आकाशवाणी हुई - मूर्ख टमाटर, इस जग में कुछ भी चिरस्थाई नही है। जिस सिंहासन पर बैठ कर तू अभिमानित हो रहा है एक दिन उसी से औंधे मुंह नीचे गिरेगा।
टमाटर महाराज उस आकाशवाणी को सुनकर सकपका गए। फिर संभलकर उन्होने कड़क स्वर में राजसभा में पूछा - किसी ने कुछ सुना?
राजसभा में सभी ने एक स्वर में उत्तर दिया- नहीं महाराज!
टमाटर महाराज ने अनुभव किया कि सभी राजसभा जन मंद-मंद मुस्कुरा रहें हैं। तभी प्याज ने उत्साहित हो टमाटर महाराज की भुजाओं को और जोर-जोर से दबाने की प्रक्रिया अपनायी तथा दालों ने और अधिक आनंदित हो नृत्य करना आरंभ कर दिया। सभी ने कनखियों से देखा कि टमाटर महाराज के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं और वहां से अचानक पसीने की पतली धार बहने लगी।
लेखक : सुमित प्रताप सिंह