कुछ साल पहले दिल्ली में रोजी-रोटी की खातिर बसने आये या फिर सालों से दिल्ली में निवास करने के बावजूद दिल्ली को अपना नहीं माननेवाले लोगों से अक्सर बिन माँगी राय मिलती जाती है कि दिल्ली की लड़कियों का चरित्र ठीक नहीं होता अर्थात वो बिगड़ी हुई होती हैं। इन तथाकथित रायवीरों को यह बताना जरूरी है कि दिलवालों के शहर दिल्ली की लड़कियाँ बिगड़ी हुई नहीं हैं। दिल्ली ही क्यों लड़कियाँ किसी भी शहर या कसबे या फिर गाँव की बिगड़ी हुई नहीं होतीं। अब चूँकि बात दिल्ली की लड़कियों की हो रही है तो दिल्ली शहर में हर देश, हर प्रान्त एवं हर जाति और सम्प्रदाय के लोग पाए जाते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो दिल्ली शहर में एक लघु भारत बसता है। इस लघु भारत में रहते-रहते यहाँ के निवासी खुले दिल के स्वामी हो जाते हैं तथा किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने में औरों से अधिक सिद्धहस्त भी होते हैं और उनके शब्दकोश से भेदभाव और असंभव शब्द धीमे-धीमे मिट जाते हैं। किसी के साथ दो पल हँसकर बात करने को बिगड़ा हुआ होना कहा जाए तो शायद दिल्ली का हर निवासी बिगड़ा हुआ है। अन्य शहरों की भाँति दिल्ली की लड़कियों का भी एक परिवार होता है जिसमें सभ्यता एवं संस्कृति वास करती हैं। यहाँ की लड़कियाँ भी अपने परिवार के सम्मान की परवाह करती हैं और मर्यादा का पालन करते हुए प्रगति के पथ पर अग्रसर होती हैं। जिन लड़कियों को देखकर दिल्ली की लड़कियों को बिगड़ेपन का तमगा प्रदान किया जाता है असल में वो उन लड़कियों का 10-12 प्रतिशत होता है जो विभिन्न शहरों या कसबों से दिल्ली में शिक्षा प्राप्त करने या नौकरी करने के उद्देश्य से आती हैं और अपने माँ-बाप के विश्वास का राम नाम सत्य करके यहाँ स्वच्छंदता की सारी हदें पार कर डालती हैं और उन्हीं लड़कियों को दिल्ली की लड़कियों का प्रतिनिधि मानकर दिल्ली की लड़कियों को बिगड़ा घोषित कर दिया जाता है। इसलिए यदि कभी कोई आपसे कहे कि दिल्ली की लड़कियाँ बिगड़ी होती हैं तो उससे कहिएगा कि दिल्ली की लड़कियाँ बिगड़ी हुई नहीं हैं, बल्कि ऐसा सोचनेवाले उस व्यक्ति का मानसिक संतुलन ही बिगड़ा हुआ है।