शोभना सम्मान समारोह के बीच सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुमित प्रताप सिंह के बहुचर्चित उपन्यास 'जैसे थे' के द्वितीय संस्करण का मंचासीन विद्वजनों द्वारा लोकार्पण किया गया। जैसे थे पर वक्तव्य की शुरुआत युवा लेखक अमित श्रीवास्तव द्वारा की गई। उन्होंने सुमित के व्यक्तित्व व कृतित्व पर बोलने के पश्चात् जैसे थे पर चर्चा करते हुए कि इस उपन्यास को बहुत रोचक शैली में लिखा गया है। सुमित हर परिस्थिति का सामना जैसे थे के साथ करते हैं। जब भी इनसे पूछो कि कैसे हैं तो इनका उत्तर होता है जैसे थे। हम आशा करते हैं कि सुमित 8 पुस्तकों की सीमा रेखा को पार कर शीघ्र ही पुस्तकों का शतक लगाएं।
इसके बाद इंस्पेक्टर सुरेंद्र शर्मा ने जैसे थे पर बोलते हुए कहा कि सुमित का जैसा व्यक्तित्व है वैसा ही उनका लेखन है। हम दोनों एक ही विभाग के हैं और जब हम एक यूनिट में साथ थे और जब भी मेरी इनसे मुलाकात होती थी तो ये अपने चेहरे पर मुस्कुराहट के साथ ही मिलते थे। इनके उपन्यास में इनकी मुस्कुराहट का प्रभाव दिखता है और अपने पात्रों व परिस्थियों से उपन्यास हास्य मिश्रित व्यंग्य को उत्पन्न करता है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सुयश कुमार द्विवेदी ने सुमित को उनके उपन्यास के द्वितीय संस्करण के लिए बधाई देते हुए कहा कि जैसे थे एक पठनीय उपन्यास है जिसे एक बार पढ़ना आरंभ करें तो समाप्त किए बिना छोड़ा नहीं जा सकता। इसकी कहानी व इसके पात्र पाठक वर्ग में रोचकता बढ़ाते हैं जो उपन्यास को अंत तक पढ़ने को विवश कर देते हैं। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ. अनीता यादव ने जैसे थे पर वक्तव्य देते हुए कहा इस उपन्यास में कई कहानियां एक साथ सफर करतीं हैं। सुमित ने केवल 100 पृष्ठ के इस उपन्यास में जितने विषयों पर कटाक्ष किया है उतने विषयों को किसी 500 पृष्ठों के उपन्यास में भी नहीं उठाया गया होगा। चाहे खाली गांव वालों की कथित व्यस्तता हो या फिर शहर व शहरी जनमानस की संवेदनहीनता हो, चाहे प्रेम के नाम पर बाजारवाद हो या फिर धार्मिक आडंबर हो। सुमित की लेखनी ने इस उपन्यास में लगभग प्रत्येक विषय को लेकर कटाक्ष किया है।
मुख्य अतिथि ने कहा कि सुमित में लेखन की अपार संभावनाएं हैं।
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए श्रीकांत सक्सेना ने कहा कि पुलिस में रहकर भी सुमित की व्यंग्य की सूक्ष्म दृष्टि है जो उनके लेखन में साफ दिखाई देती है। उनका यह उपन्यास रोचक एवं पठनीय उपन्यास है। इसमें व्यंग्य एवं हास्य की प्रचुरता है। उनका व्यंग्य में भविष्य उज्ज्वल है।
कार्यक्रम के अंत में युवा लेखिका रुपाली सक्सेना ने सुमित को उपन्यास के द्वितीय संस्करण के लिए बधाई देते हुए निरंतर सृजन करने का आह्वान किया।
रिपोर्ट - संगीता सिंह तोमर