जबसे उन्होंने आलू से सोना बनाने की मशीन के बारे में घोषणा की है, तबसे आलू ने और अधिक भाव खाना शुरू कर दिया है। वैसे तो आलू पहले से ही सब्जियों का राजा था, लेकिन उसके भीतर हर सब्जी के साथ मिल-जुलकर पकने की भावना ने ही उसे सब्जियों का राजा बनाया था। एक तरह से वह खास होते हुये भी आम सब्जी की तरह व्यवहार करता था। पर जबसे आलू को सोने में परिवर्तित करनेवाली मशीन की खबर मीडिया में वायरल हुई है, तबसे ही आलू के मन में गोल्डन फीलिंग होने लगी है और वो खुद को सब्जियों के राजा से भी बढ़कर समझने लगा है। अपनी इस गोल्डन फीलिंग के कारण वो सब्जियों के साथ गठबंधन समाप्त कर एकांत प्रेमी हो गया है। आलू का जिगरी दोस्त समोसा भी आलू से जुदाई का दुःख झेल रहा है। समोसे में आलू की उपस्थिति तक खुद भी सत्ता से चिपके रहने का दावा करनेवाले भी आलू की ओर अपने जलते हुये नेत्रों से देख रहे हैं पर आलू इन सब बातों से बेपरवाह हो अपनी ही मस्ती में खोया हुआ है। अब वो भारतीय रसोई में मुख्य अतिथि और अध्यक्ष की दोहरी भूमिका का निर्वाह कर रहा है। जैसे किसी कार्यक्रम में वक्ता माइक पकड़कर सर्वप्रथम भीतरी मन से कोसते हुये और ऊपरी मन से मुख्य अतिथि और अध्यक्ष के सम्मान में कसीदे पढ़ने के बाद अपने वक्तव्य को आरंभ करता है, ठीक वैसे ही हरेक सब्जी पकने से पहले गोल्डन फीलिंगवाले सम्राट आलू को प्रणाम करती है।
इतना सब होने के बावजूद भी मैं आलू को आलू जितना ही महत्व देता हूँ। इस बात से आलू के मन को भारी ठेस पहुँचती है। उदास आलू को देखकर मैं मंद-मंद मुस्कुराता हूँ और अपनी प्राणों से प्यारी पत्नी से बड़े ही प्यार से कहता हूँ, " प्रिये आज तुम्हें जो भी चाहिये उसे माँग लो।" पत्नी एक पल को शरमा जाती है और फिर दूसरे ही पल मुस्कुराकर अपनी डिमांड प्रस्तुत करती है, " मेरे लिये केवल एक बोरा आलू मँगवा दीजिये।" मैं हैरान होकर एक पल को अपनी पत्नी को देखता और दूसरे ही पल में आलू पर निगाह डालता हूँ। अब मुझे देखकर आलू खिलखिलाता है और अपनी आँखें मींचकर आलू से सोना निर्मित करनेवाली मशीन का अविष्कार करनेवाले महान वैज्ञानिक को श्रद्धापूर्वक मन ही मन नमन करने लगता है।
इतना सब होने के बावजूद भी मैं आलू को आलू जितना ही महत्व देता हूँ। इस बात से आलू के मन को भारी ठेस पहुँचती है। उदास आलू को देखकर मैं मंद-मंद मुस्कुराता हूँ और अपनी प्राणों से प्यारी पत्नी से बड़े ही प्यार से कहता हूँ, " प्रिये आज तुम्हें जो भी चाहिये उसे माँग लो।" पत्नी एक पल को शरमा जाती है और फिर दूसरे ही पल मुस्कुराकर अपनी डिमांड प्रस्तुत करती है, " मेरे लिये केवल एक बोरा आलू मँगवा दीजिये।" मैं हैरान होकर एक पल को अपनी पत्नी को देखता और दूसरे ही पल में आलू पर निगाह डालता हूँ। अब मुझे देखकर आलू खिलखिलाता है और अपनी आँखें मींचकर आलू से सोना निर्मित करनेवाली मशीन का अविष्कार करनेवाले महान वैज्ञानिक को श्रद्धापूर्वक मन ही मन नमन करने लगता है।
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
कार्टून गूगल से साभार