मंगलवार, 24 जनवरी 2012

बल्ले-बल्ले करते काजल कुमार


प्रिय मित्रो

सादर ब्लॉगस्ते!

     साथियो काजल और सुरमा सुन्दरी के नैनों को और अधिक आकर्षक व कटीला बनाने का काम करते हैं. इन नैनों में खोकर ही हम और आप जैसे कवि व गीतकार कुछ ऐसा रच डालते हैं कि उन नैनों की सुन्दरता में चार चाँद लग जाते हैं. हालाँकि अब काजल और सुरमे के दिन लद चुके हैं और उनका स्थान "आई लाइनर" ने ले लिया है. किन्तु हम ब्लॉगरों के नैनों की सुंदरता सदैव बढाते रहेंगे अपने ब्लॉगर बंधु और कार्टूनकार काजल कुमार जी. काजल कुमार जी मूलरूप से हिमाचल प्रदेश से हैं व दिल्ली में सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं (यानि कि हमारी तरह सरकारी दामाद हैं). इन्हें लगता है कि किसी को भी तकनीक तो सिखाई जा सकती है पर कला नहीं. कला शायद जन्मजात होती है. बस यह भी इसी का फायदा उठा रहे हैं कि रेखा चित्रकला इन्हें भी जन्म से ही मिली हैइसमें इनका कोई प्रयासपूर्ण योगदान नहीं रहा. कॉलेज के दिनों से ही यह कार्टून बनाने में मस्त और व्यस्त हैं. आइए कुछ बातें कर लेते हैं इनसे... 

सुमित प्रताप सिंह- काजल कुमार जी नमस्कार! कैसे हैं आप?

काजल कुमार- नमस्कार सुमित जी! बस अपनी तो बल्ले-बल्ले है. आप सुनाएँ.

सुमित प्रताप सिंह- जी अपना जीवन करते हुए बल्ले-बल्लेचल रहा है हल्ले-हल्ले. कुछ प्रश्न लाया हूँ.

काजल कुमार- ओ बल्ले-बल्लेपूछ डालिए प्रश्न हल्ले-हल्ले.
मन में विचार आता है कि कहीं आज काजल जी क्रिकेट का मैच तो खेलने नहीं जा रहे हैंयदि ऐसा है तो बल्ले-बल्ले के साथ गेंद-गेंद भी बोलना चाहिए. खैर हमें क्या? लेकिन उन्हें कम से कम  हमें भी क्रिकेट खेलने का निमंत्रण तो देना चाहिए, चाहे वह हमसे फील्डिंग ही करवा लेते. )

सुमित प्रताप सिंह- आपको यह ब्लॉग का चस्का कब और कैसे लगा?

काजल कुमार- चस्का तो पता नहींअलबत्ता पढ़ने-लिखने से जुड़े रहने के कारण कला-साहित्य-संस्कृति-सूचना की दूनिया से दो-चार होना लगा ही रहता है. कई साल पहले geocities पर कार्टून होस्ट किये (अब यह साइट बंद हो गई है). फिर googlepages.com पर चला गयाआजकल यह sites.google.com में बदल गई है. इसी के चलते जनवरी 2007 में एक ब्लाग बनाया लेकिन उस पर काफी समय तक कुछ नहीं छापा…. इसी तरह चलती रहती है यह यात्रा.

सुमित प्रताप सिंह- प्रकृति द्वारा निर्मित अच्छे-खासे चेहरे को आप क्या बना डालते हैं. आपको ऐसा करते हुए उस मासूम पर दया नहीं आती?

काजल कुमार- प्रकृति ने तो नि:संदेह ही चेहरे अच्छे-ख़ासे ही बनाए होते हैं पर हम अपने विचारों और कामों से अपने चेहरे ख़राब कर लेते हैं. यहां मुझे सत्यजीत रे प्रेज़ेन्टस” टी.वी. सीरियल का वह गंवई नायक याद आता है जो एक दिन निश्छल युवक न रह कर सड़क पर कीलें बिखेर गाड़ियां पंक्चर कर पैसे कमाने वाले व्यक्ति में बदल जाता है तब उसकी प्रेमिका एक दिन उसे कहती है –‘तुम वो नहीं रहे जिसे मैंने प्यार किया थातुम कोई और हो.’ कार्टूनिस्ट का काम ही चेहरे के पीछे का चेहरा दिखना होता है न.

सुमित प्रताप सिंह- आपने अपना पहला कार्टून कब और क्यों बनाया?

काजल कुमार- पहले कार्टून का तो सही-सही पता नहींछुटपन से ही स्वयं को रंग और रेखाओं के साथ खेलते पाया. हां कालेज के दिनों कार्टून बनाना नियम सा हो गया था. क्यों बनाया… कार्टून बनाना अच्छा लगाआज भी उतना ही अच्छा लगता है.

सुमित प्रताप सिंह- आप कार्टून बनाते क्यों हैं?

काजल कुमार- क्यों बनाता हूं. हम्म… कार्टून बनाना कोई काम नहीं है यह एक urge है, extremely intense urge. बल्किमेरे लिए तोकार्टून बनाने की आज़ादी छीन लेने से बड़ी कोई और सज़ा हो ही नहीं सकती.

सुमित प्रताप सिंह- किस विषय पर कार्टून बनाना आपको सबसे प्रिय है?

काजल कुमार-राजनीतिज्ञों के अलावा किसी भी विषय पर कार्टून बनाना बहुत अच्छा लगता है लेकिन राजनीति पर कार्टून न बनाना पलायन होगा इसलिए राजनीति व राजनीजिज्ञों पर भी कार्टून बनाता हूं किन्तु मुझे दूसरे किसी भी विषय पर कार्टून बनाना कहीं अधिक प्रिय है.

सुमित प्रताप सिंह- अपनी रचनाओं से समाज को क्या सन्देश देना चाहते हैं?

काजल कुमार- सच्चाई तो ये है कि समाज के द्वंदोंविद्रूपोंअसंगतियों-विसंगतियों पर कटाक्ष करना भर ही होता है कार्टून का उद्देश्य क्योंकि ये समझना कि समाज के दूसरे लोगों को तथाकथित संदेशों की आवश्यकता हैमेरे ख़्याल सेस्वयं को बहुत बड़ा समझ बैठने का भ्रम भर है. कार्टूनिंग में तो नंगे राजा को नंगा कह देने भर से ही काम हो जाता है वर्ना संदेश गढ़ने वालों की कमी कहां होती है किसी भी समाज में.

सुमित प्रताप सिंह- एक अंतिम प्रश्न. "ब्लॉग लेखन द्वारा हिंदी का विश्व में प्रचार और प्रसार." इस विषय पर क्या आप अपने कुछ विचार रखेंगे?

काजल कुमार- ब्लॉग लेखन द्वारा विश्व में हिंदी के प्रचार और प्रसार को निश्चय ही पहले की अपेक्षा कहीं अधिक नया बल मिल रहा है. हिन्दी ही क्योंकिसी भी भाषा को. कुछ समय पहले तक मुझे भी यही पता था कि इंटरनेट की भाषा केवल अंग्रेज़ी है. मज़बूरी में दूसरों की आवाज़ में अपनी बात कहनी पड़ती थी. पर आज वह बात नहींभाषाएं आज अपना स्पेस तलाश नहीं कर रही हैं बल्कि उससे भी कहीं आगे निकल कर अपनी बात रख रही हैं. जिन भी लोगों ने हिन्दी को इंटरनेट पर यूँ सुलभ बनाया है मैं उनका बहुत आभारी हूँ.

(इतना कहकर काजल कुमार जी घर के कोने में रखे क्रिकेट के बल्ले की ओर निहारने लगे. यानि कि मेरा अनुमान सही था. उन्हें बल्ले-बल्ले करने के लिए छोड़कर हल्ले-हल्ले मैं भी चल पड़ा अपने अगले ठिकाने पर.)

काजल कुमार जी कार्टूनों को देख बल्ले-बल्ले करना हो तो पधारें http://kajalkumarcartoons.blogspot.com/ पर...

काजल कुमार जी ने यह कार्टून किसका बनाया है? बताइये न. 

18 टिप्‍पणियां:

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

काजल भाई की बल्ले-बल्ले, सचमुच एक कार्टूनिस्ट के लिए कार्टून बनाने की आज़ादी छीन लेने से बड़ी कोई और सज़ा हो ही नहीं सकती......मेरा भी एक खुरपेंचिया स्टाईल कार्टून बना दो ठाकुर !

डॉ टी एस दराल ने कहा…

बढ़िया शौक है कार्टून बनाना ।
और कला भी ।
कार्टून के बहाने बहुत बड़ी बात कह जाते हैं काजल जी ।

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

मैं भी काजल जी को सजा नहीं देना चाहता हूं
मेरा तो सदा से ध्‍येय रहा है
इस हाथ (कार्टून) लो
और उस हाथ (खुशी) दो
कार्टून बराबर खुशी
खुशी बराबर खुशी
इसमें सजा कोई काम नहीं
मजा ही मजा सिर्फ मजा ही मजा
कब बनेगा मजा का माजा
पर हमें तो मना है
मिठास भरा माजा
और नमकीन माजा अभी बना ही नहीं
अब हम यह क्‍यों बतलाएंगे
इतने सुंदर सुमित कुमार जी
कार्टून में भी सुंदरता बिखेर रहे हैं
हिंदी चिटठाकारी का मंत्र
कार्टून चित्रों में उकेर रहे हैं।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

काजल जी जिनिअस हैं ... यह कार्टून आपका

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

काजल जी ,एक अच्छे कलाकार हैं.यह हमारा सौभाग्य है कि ब्लॉगिंग के बहाने उनसे जुड पाए.
उनकी मारक-क्षमता गज़ब की है.बिना कुछ कहे ,बहुत -कुछ कहना कार्टूनिस्ट की कला है.
उनको मेरा प्रणाम कहना,हलके-हलके !

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

Kajal kumar ji ke saath aapki dilchasp vaarta padhkar bahut achchha laga. mere blog par aakar mujhe protsaahit karne ke liye hriday se aabhar.

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत बढ़िया कार्टून बनाया है आपका ....... काजलजी के ब्लॉग पर नियमित जाती हूँ.......

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
बढ़िया रहा साक्षात्कार!
--
गणतन्त्रदिवस की पूर्ववेला पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

हम बच्चों के भी फेवरेट हैं काजल अंकल.....

सदा ने कहा…

काजल जी का परिचय और आपकी कलम के साथ यह चित्र ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ..आभार ।

सूत्रधार ने कहा…

आपके इस उत्‍कृष्‍ठ लेखन का आभार ...

।। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ।।

शिवा ने कहा…

बेहतरीन प्रस्‍तुति ..
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए....

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

आप सभी मित्रों का अतीव विनम्र आभार. अविनाश जी के लिए विशेष शब्द जिन्होने पूरी कविता ही लिख दी है :) इतना स्नेह मुझे और अधिक विनम्र बनने की प्रेरणा देता है..

virendra sharma ने कहा…

दुभाग्य सोनिया जी का उन पर कोई कार्टून नहीं बनाता .किसी ने उनको मुस्काते भी विरले ही देखा है उम्मीद है अपने काजल भाई चिर कुमार यह कमी पूरी करंगे .वैसे अपने मंद बुद्धि राजकुमार पर भी कम ही कार्टून है हालाकि वह गाहे बगाहे कलावातियों के घाट जीम रहें हैं .

virendra sharma ने कहा…

दुभाग्य सोनिया जी का उन पर कोई कार्टून नहीं बनाता .किसी ने उनको मुस्काते भी विरले ही देखा है उम्मीद है अपने काजल भाई चिर कुमार यह कमी पूरी करंगे .वैसे अपने मंद बुद्धि राजकुमार पर भी कम ही कार्टून है हालाकि वह गाहे बगाहे कलावातियों के घाट जीम रहें हैं .

शिवम् मिश्रा ने कहा…

खूब मिलवाया काजल कुमार जी से सुमित भाई ... आभार आपका !

संगीता तोमर Sangeeta Tomar ने कहा…

बल्ले-बल्ले सुंदर साक्षात्कार काजल भैया......गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.....

MOHAN KUMAR ने कहा…

glad to know about Kajal Kumar.

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