राजधानी दिल्ली और एनसीआर में उत्सव का माहौल है। जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन के उपलक्ष में दिल्ली एनसीआर दुल्हन की भांति सज चुके हैं। कूड़ा-करकट और गंदगी बहुत उदास हैं। उन बेचारों को उठा-उठा कर आयोजन स्थल से दूर ले जाकर पटका जा रहा है। गली-मोहल्ले और सड़कें चमचमा रहे हैं। कुरूपता अचानक से जाने कहां लापता हो गयी है। चहुं ओर उत्सव का माहौल है। ऐसा लगता है कि जैसे हर कोई गा रहा हो जी-20 आला रे। अभावों में भी सुखद स्वप्नों के सहारे जीने वाले देश को आस है, कि जी-20 शिखर सम्मेलन उनके भविष्य को स्वर्णिम बनाएगा। जी -20 आला रे गीत का गायन करते हुए जी-20 शिखर सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सभी देशवासी पूरे जी-जान से जुटे हुए हैं। देश की राजधानी के चप्पे-चप्पे में और इसकी सीमाओं पर सुरक्षा के लिए तैनात जवान अन्य एजेंसियों संग इस प्रयास में है कि ये आयोजन सफल हो जाए। विश्व बंधुत्व की ओर भारत को अग्रसर करने के लिए लोग कष्टों को सुख मान कर हर्षित व गर्वित हैं। राजधानी दिल्ली व एनसीआर लीप-पोत कर सजाए गए अपने आकर्षक रूप को लोगों के नैनों के दर्पण में निहारते हुए इस असमंजस में हैं कि वे इस पर इतराएं, इठलाएं या फिर से अपने पूर्व रुप में आने के लिए समय काटते जाएं। विदेशी मेहमानों के आगमन से उल्लास से भरी ये धरती विश्व बंधुत्व व प्रगति के स्वप्नों को साकार करने के लिए अत्यधिक उत्साहित है। अब जाने ये स्वप्न साकार होंगे या फिर बाहर से आया कोई बहुरूपिया अपने चेहरे पर बंधुत्व का मुलम्मा चढ़ा कर इस बंधुत्व को तार-तार करने के अपने कुत्सित उद्देश्य को पूर्ण कर लौट जाएगा। बहरहाल इस आयोजन को सफल बनाने के लिए कई रातों की नींद की बलि दे चुकीं आँखें मिलकर इसकी सफलता की आस के साथ निरंतर गुनगुना रही हैं जी-20 आला रे।
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
चित्र गूगल से साभार