बिहार की राजधानी पटना के कुमार गौरव अजीतेन्दु नौकरी के लिए संघर्ष करते-करते निराशा व अवसाद के भंवर में फँसकर डूबने ही वाले थे कि अचानक उनकी मुठभेड़ साहित्य से हो गयी। इस मुठभेड़ का सुखद परिणाम यह निकला कि अजीतेन्दु साहित्य के बंधु बन गए और गीत-नवगीत, छंद, कहानी, लघुकथा, मुक्तक, हाइकु इत्यादि विधाओं में लिखने और प्रकाशित होने लगे। इनकी हाइकू की एक पुस्तक मुक्त उड़ान प्रकाशित हुई है व गीत-नवगीत, छंद, कहानी, लघुकथा, मुक्तक, हाइकु समेत सभी विधाओं में इनके अनेक संयुक्त साहित्यिक संकलन आ चुके हैं। अजीतेन्दु देश के विभिन्न समाचारपत्रों-पत्रिकाओं व रेडियो स्टेशन पर अपनी नियमित उपस्थित दर्शा रहे हैं। हमने कुछ प्रश्नों के माध्यम से इनकी साहित्यिक यात्रा के विषय में जानने का लघु प्रयास किया है।
आपको लेखन का रोग कब और कैसे लगा?
कुमार गौरव अजीतेन्दु - अपनी बात कहूँ तो ये शौक जन्म से है। बचपन से ही मैं तुकबंदी करता रहा हूँ। हाँ अगर विधागत लेखन और नियमित रूप से बतौर लेखक काम करने की बात हो तो ये चीज तब शुरू हुई जब मैं निराशा में था और अवसाद में बस डूबने ही वाला था। 2011-12 के समयकाल में कई बार सरकारी नौकरी की परीक्षा पास की, लेकिन आगे चलकर काम नहीं बन सका। उसी समय इंटरनेट पर सर्फिंग करते हुए मुझे जागरण जंक्शन वेबसाइट दिखी, जो ब्लॉग लिखने की सुविधा देती है। जागरण जंक्शन पर लिखना शुरू किया और बस तब से ही ये लेखन यात्रा चल रही है।
लेखन से आप पर कौन सा अच्छा अथवा बुरा प्रभाव पड़ा?
कुमार गौरव अजीतेन्दु - जी, जैसा कि मैंने अभी बताया कि लेखन मैंने तब शुरू किया जब मैं अवसाद के अंधेरे में डूबने वाला था तो सबसे पहला लाभ तो मुझे यही लगता है कि लेखन ने मुझे अवसादित होने से बचा लिया इसके अलावा लेखन से जो अनुभूति का दायरा और बल बढ़ता है, वो तो एडिशनल प्रॉफिट रहता है। बुरा प्रभाव ये कहा जा सकता है कि लेखन आपके मन को कोमल कर देता है। ये दुनिया ऐसी है कि हर जगह कोमलता के साथ आप नहीं चल सकते। सर्वाइवल के लिए थोड़ी कठोरता भी जरूरी है।
क्या आपको लगता है कि लेखन समाज में कुछ बदलाव ला सकता है?
कुमार गौरव अजीतेन्दु - लेखक ही तो बदलाव लाता है। लेखन के जरिए जो वैचारिक यातायात की परिस्थिति बनती है, उससे समाज सीधे प्रभावित होता है। लेखन का विस्तार केवल हम भावुक कविताओं तक नहीं मान सकते बल्कि ये अखबार से लेकर रंगमंच और चलचित्रों की दुनिया जैसे सभी वृहत पक्षों में अपना दखल रखता है। इतिहास भी तो लेखन ही होता है।
आपकी सबसे प्रिय स्वरचित रचना कौन सी है और क्यों?
कुमार गौरव अजीतेन्दु - अपनी तो सभी रचनाएँ प्रिय हैं। हाँ जिन रचनाओं पर माँ से खास तारीफ मिलती है, उनसे विशेष जुड़ाव हो जाता है। ऐसी ही एक कहानी प्यार नहीं खोना है, जो कि दो पीढ़ियों की लव स्टोरी है। वैसे तो क्राइम और सस्पेंस थ्रिलर लिखना पसंद करता हूँ, लेकिन कभी-कभी कुछ स्पेशल मूड में लव भी लिखा जाता है।
आप अपने लेखन से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं?
कुमार गौरव अजीतेन्दु - मैं खुद भी काफी प्रैक्टिकल रहने वाला इंसान हूँ और वही भाव लिखना भी चाहता हूँ। संदेश मेरा अपने पाठकों के लिए जीवन की वास्तविकता को समझाना है। मैं फिल्मी अंदाज का लेखन नहीं करता।
3 टिप्पणियां:
शुभकामनायेँ ये सुखद यात्रा उच्चतम शिखर पर ले जाए
शुभकामनाएं गौरव ,यह लेखन यात्रा अनवरत यूँ ही चलती रहे और उन्नति की ओर कदम दर कदम बढ़ते रहो
आपकी साहित्यिक यात्रा यूँ ही जारी रहे.हार्दिक शुभकामनाएँ.
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