गुरुवार, 27 मई 2021

व्यंग्य : कोरोना काल में गब्बर का नीतिशास्त्र

 

     नफे के फोन की रिंग टोन बजी। नफे ने फोन उठाया। फोन जिले का था।

जिले - हैलो भाई नफे!

नफे - हाँ बोल भाई जिले!

जिले - भाई, अब बोलने लायक कुछ बाकी नहीं बचा।

नफे - क्यों क्या हो गया?

जिले - हमारे पूरे परिवार की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। 

नफे - एक समय था जब 'बी पॉजिटिव' का संदेश दिया जाता था। अब तो पॉजिटिव होना भी किसी विडंबना से कम नहीं है।

जिले - भाई, यहाँ जान आफत में आ रखी है और तुझे प्रवचन सूझ रहे हैं।

नफे - अरे भाई, बुरा मत मान। वैसे तुझ जैसे जागरूक इंसान को कोरोना ने कैसे पकड़ लिया?

जिले - सब तेरी भाभी की कृपा है।

नफे - भाभी की कृपा?

जिले - हाँ सब उसी का किया धरा है।

नफे - जरा खुल के बता।

जिले - तेरी भाभी घर से बाहर कहीं भी जाती थी, तो बिना मास्क के जाती थी। सोशल डिस्टेन्सिंग और हाथ सेनेटाइज करने में उसकी नानी मरती थी। वो अपने साथ-साथ मुझे भी ये सब करने के लिए दुष्प्रेरित करती थी।

नफे - और तू दुष्प्रेरित हो परिवार सहित कोरोना के चंगुल में फंस गया। कम से कम तुझसे तो ये उम्मीद नहीं थी।

जिले - आखिर क्या करता? तेरे जैसे किसी साथी ने व्हाट्सएप्प पर एक मैसेज भेजा था।

नफे - कैसा मैसेज?

जिले - पत्नी से बहस, जीवन तहस-नहस।

नफे - और फिर व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से मिले ज्ञान को मानकर पत्नी से बहस न करके कोरोना का उपहार ले लिया।

जिले - भाई, अब जो होना था सो हो गया। अब तो इस बीमारी से निजात पाने का कोई उपाय सुझा। हमारे पूरे परिवार का डर के मारे बुरा हाल हो रखा है।

नफे - इसका तो यही इलाज है कि डॉक्टर द्वारा बतायी गयी दवा और सलाह को मान, घर के भीतर निश्चित समय के लिए क्वारंटाइन रह और गब्बर के नीति शास्त्र का पालन कर।

जिले - गब्बर का नीति शास्त्र? इसके के बारे में तो पहली बार सुन रहा हूँ। कब छपा ये?

नफे - भाई, गब्बर का नीति शास्त्र व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर प्रकाशित कई भागों में बिखरी हुई किताब है। 

जिले - भाई, मुझे न पढ़नी कोई किताब-विताब। तू तो बस इस गब्बर के नीति शास्त्र का वो सिद्धांत बता दे, जिससे हम सबके प्राण बच जायें।

नफे - जो डर गया, समझो मर गया।

जिले - मतलब?

नफे - मतलब ये कि कोरोना से डर कर नहीं आशावादी सोच रखते हुए हिम्मत से मुकाबला करना है। 

जिले - भाई, पर इस सिद्धांत का तो खुद गब्बर ने ही पालन नहीं किया था।

नफे - इसीलिए तो मर गया।

जिले - (कुछ देर शांत रहने के बाद)  पर तेरा ये दोस्त जिले और उसका परिवार इतनी आसानी से मरने के बजाय गब्बर के नीतिशास्त्र के डर से संबंधित सिद्धांत को अपना कर निडरता से लड़ते हुए कोरोना की जंग को जीतेगा।

नफे - शाबास मेरे गब्बर शेर।

लेखक - सुमित प्रताप सिंह

कार्टून गूगल बाबा से साभार 

4 टिप्‍पणियां:

Trivendra Kumar ने कहा…

Jo ghar raha
Wo Bach gaya....

Sumit Pratap Singh ने कहा…

सही पकड़े हैं 😊

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

बहुत बढ़िया।
बाकी घरे रहा बचल रहा 😅

Sumit Pratap Singh ने कहा…

हार्दिक आभार...

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