शुक्रवार, 21 मई 2021

व्यंग्य : आपदा के असुर


     जिले ने नफे को आते  देखा तो मंदिर की सीढ़ियों से झटपट उतर कर नीचे आया और मोटरसाइकिल पर नफे के पीछे जाकर बैठ गया।

नफे – जिले भाई, आज बहुत टाइम लगा दिया पूजा में।

जिले – भाई, आज पंडित जी के श्रीमुख से देवासुर संग्राम की कथा में खो गया था।

नफे- अच्छा तो चल फिर अब अपने काम पर चलते हैं।

जिले – भाई, जहाँ चलना है चल पड़।

नफे - ड्यूटी अफसर ने एस.एच.ओ. साहब के आदेश से इमरजेंसी कॉल अटेंड करने को बोला है। 

जिले- तो फिर चल एस.एच.ओ. साहब के आदेश का पालन करते हैं।

इतना सुनते ही नफे ने मोटरसाइकल भगानी शुरू कर दी।

जिले- भाई नफे!

नफे- हाँ बोल भाई जिले!

जिले- आज के समय भी असुर और देव होते हैं क्या?

नफे- बिलकुल होते हैं।

जिले- तनिक उदाहरण देकर समझा।

नफे- आज के हालातों पर नज़र डाल तो चारों तरफ असुर आसुरी प्रवृत्ति का पालन करते हुए मिल जायेंगे।

जिले- भाई शब्दों में उलझाने के बजाय सीधे-सादे ढंग से समझा।

नफे - इन दिनों कोरोना महामारी ने देश-दुनिया में तबाही मचा रखी है। ऐसे समय में जहाँ अधिकतर लोग एक-दूसरे की मदद करने में लगे हुए हैं, वहीं कुछ धूर्त लोग इस आपदा में भी अवसर तलाशने में जुटे हुए हैं।

जिले - वो कैसे?

नफे- ये धूर्त लोग कालाबाजारी कर फल, सब्जी, घर के जरूरी सामान की कालाबाजारी कर जरूरतमंदों को औने-पौने दामों में बेच रहे हैं। जहाँ बीमार ऑक्सिजन की कमी के कारण अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं, वहीं ये धूर्त लोग ऑक्सिजन के सिलिंडरों को छिपा कर रख रहे हैं। रेमिडिसिवर इंजेक्शनों व कोरोना के इलाज में लाभदायक अन्य दवाइयों व मेडिकल से संबंधित सामान को अपने-अपने स्टोरों में भरकर इकट्ठा कर रहे हैं, ताकि ये सब कालाबाजारी कर पैसा कमाने की अपनी हवस को पूरा कर सकें। 

जिले- भाई, मैंने भी सुना है कि जितनी दूरी तक जाने के लिए एम्बुलेंस से पाँच-छह हजार रुपये लगते हैं, उतनी दूरी के एक से डेढ़ लाख रुपये तक वसूले जा रहे हैं।

नफे- बिलकुल ठीक सुना है। इन दिनों ये हर चीज के दस गुने दाम तक ये धूर्त लोग वसूल रहे हैं।

जिले- तेरे कहने का अर्थ है कि ये धूर्त लोग ही आज के असुर हैं।

नफे- हाँ भाई, वैसे इन्हें आपदा के असुर कहना ज्यादा बेहतर होगा। 

जिले- आपदा के असुर, अच्छा है इन धूर्तों के लिए ये नाम बहुत अच्छा है। अच्छा भाई, जो लोग इन दिनों बिना मास्क घूम रहे हैं, सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन नहीं कर रहे हैं और लॉकडाउन होने के बावजूद घर के बाहर भटक रहे हैं, उन्हें छोटे-मोटे असुरों की श्रेणी में रखा जा सकता है या नहीं?

नफे- उन्हें आपदा के जूनियर असुर कहा सकता है। 

जिले- हा हा हा ये नाम उनके लिए उपयुक्त रहेगा। अच्छा ठीक है। आज के असुरों का तो पता चल गया अब आज के देवों के बारे में भी कुछ बता दे।

नफे- उनके बारे में बाद में बताऊँगा पहले इन आपदा के असुरों को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान में पहुँचाने की तैयारी करते हैं। 

इतना कहकर नफे ने बाइक रोक कर उसके साइड में लगा लट्ठ निकाला और ऑक्सिजन सिलिंडर की कालाबाजारी कर रहे आपदा के असुरों के बदन की मालिश करनी आरंभ कर दी। इस नेक कार्य में नफे का साथ जिले ने पूरी ईमानदारी से दिया।

लेखक : सुमित प्रताप सिंह

2 टिप्‍पणियां:

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

बिल्कुल सही लिखा है अपने।
बहुत बढ़िया।

Sumit Pratap Singh ने कहा…

हार्दिक आभार...

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