इन दिनों वायरल होने का ज़माना है। कोई सी चीज कब और कैसे वायरल होकर चर्चित हो जाए कि पता ही नहीं चलता। कुछ खुशकिस्मत लोग होते हैं जो स्वयं ही वायरल होकर दुनिया में छा जाते हैं, वहीं कुछ लोग अपने तिकड़मी दिमाग का इस्तेमाल कर खुद को वायरल कर डालते हैं। ये वायरलपना नए युग के मीडिया अर्थात सोशल मीडिया की विशेष उपलब्धि है। वायरल नामक हथियार या तो किसी को रातों-रात चर्चित करके उसकी किस्मत खोल देता है या फिर उसका डिब्बा गोल कर डालता है। पर वो कहते हैं न कि बदनाम हुए तो क्या नाम न हुआ? इसलिए कभी-कभी इच्छा होती है कि काश! हम या हमारी कोई रचना भी वायरल हो जाए। पर सोचने से भला क्या होता है जब राम चाहेंगे तभी तो कुछ होगा, मतलब कि कुछ वायरल होगा।
पिछले दिनों कई खबरें वायरल हुईं। जैसे हिरन जैसे तुच्छ जीव की हत्या के झूठे केस में फँसे अपने हुड़हुड़ दबंग भाई कोर्ट से बाइज्जत बरी हो गए। इससे जहाँ भारतीय न्यायप्रणाली की निष्पक्षता का खुलासा हुआ वहीं दबंग अभिनेता के भीतर छिपे ह्यूमन से सबका साक्षात्कार हुआ। इस खबर के वायरल होते ही दबंग अभिनेता के दबंग प्रशंसकों की बद्दुआओं से बचने के लिए हिरन की आत्मा ने आसमान से अपनी भूल के लिए माफ़ी माँगी और खुद ही गोली से आत्महत्या करने की बात कबूल ली।
यू.पी. में अगले साल चुनावी महायुद्ध छिड़नेवाला है लेकिन अभी से उसके पूर्वाभ्यास की ख़बरें वायरल होने लगीं हैं और उनके साथ कलियुगी संस्कृति को समृद्ध करनेवाले वचन और गालियां भी। अभी हाल ही में खुद को राजा हरीश चंद्र की संतान माननेवाले एक प्रदेश के मुख्यमंत्री ने खुद की हत्या होने की खबर वायरल कर डाली। अब जाने इसके पीछे उनकी कौन सी जेड प्लसीय योजना रही होगी? इसके साथ-साथ एक पहलवान को डोप नामक दाँव से ओलंपिक से पहले ही देशी पटकनी देने की बात भी वायरल हो चुकी है।
यह सब देख हम जैसे लाख टके के लेखक अक्सर सोचते हैं कि हमारी कोई रचना कभी वायरल होकर हमें प्रसिद्धि नामक सिद्धि से मिलवाएगी भी कि नहीं? लेकिन हम जैसे लोग ऊपरवाले से वायरल होने की कामना भी करें तो वायरल फीवर मिल जाता है। वायरल होने की चाहत की हद तो देखिए वायरल फीवर से ग्रस्त होते हुए भी मन में ये उधेड़बुन मची हुई है कि अपना ये व्यंग्य पाठकों के बीच वायरल हो पाएगा कि नहीं?
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें