सोमवार, 19 अगस्त 2024

नॉस्टैल्जिया का गुलदस्ता है सिक्स ऑफ कप्स


    युवा कवयित्री सुश्री नेहा बंसल के हाल ही में प्रकाशित दूसरे अंग्रेजी कविता संग्रह 'सिक्स ऑफ कप्स' को पढ़ने का अवसर मिला। इससे पहले कवयित्री साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी कविताओं के संग्रह 'हर स्टोरी' के माध्यम से पाठकों के लिए उन नारियों की कहानियाँ लेकर आयीं थीं, जिनके बारे में समाज ने लिखना उचित नहीं समझा और यदि लिखा भी है तो उसे नगण्य की श्रेणी में ही रखा जाएगा। दूसरे कविता संग्रह में उन्होंने अपनी भूली-बिसरी यादों को स्थान दिया है। इस पुस्तक को कवयित्री ने अपने बाबा और अपने आईपीएस अधिकारी पति श्री दीपक यादव को समर्पित किया है। पुस्तक की भूमिका में कवयित्री ने इस कविता संग्रह को पाठकों के बीच लाने के उद्देश्य को बताने के लिए पत्रकार डौग लार्सन के कथन का उल्लेख किया है कि नॉस्टैल्जिया एक फाइल है जो अच्छे पुराने दिनों की खुरदरी धारों को हटा देती है। कवयित्री पुस्तक का शीर्षक सिक्स ऑफ कप्स रखने के प्रति पाठकों की जिज्ञासा का समाधान करते हुए बतातीं है, कि इसका शीर्षक एक छोटे आर्काना टैरो कार्ड के नाम पर रखा गया है।  भूमिका के उपरांत दो पृष्ठों में कवयित्री ने इस कविता संग्रह के प्रकाशित होने तक सहयोगी रहे मित्रो, बंधुओं व सहकर्मियों का आभार प्रकट किया है।

    इस कविता संग्रह में कुल 49 कविताएं एवं 3 हाइकु संकलित हैं। कवयित्री ने जहां इस पुस्तक की पहली कविता अपने दादा जी पर लिखी है, वहीं उनकी दूसरी कविता पुरानी दिल्ली में स्थित नानी जी के घर पर केंद्रित है, जो कि उनके अपने बड़े-बुजुर्गों के प्रेम व आदर तथा अपनी जड़ों से जुड़ाव को दर्शाती है। कवयित्री का अपने दादा जी से लगाव का ही परिणाम है कि उनकी उपस्थिति इस कविता संग्रह की कई कविताओं में दर्ज हुई है।  कवयित्री ने  विभिन्न त्योहारों, दूरदर्शन, जीवन में पहली बार खाए डोसे, गुड़िया, पिकनिक, भौतिकी विषय, प्रेम गीत, कलकत्ता में साड़ी खरीदने, बचपन की रामलीला, चंडीगढ़ के रॉक गार्डन, मूंग दाल के हलवे, घर के माली शिवचरण, सांची स्तूप, जन्मदिन की पार्टी, अंधविश्वास, पुदीना की चटनी, कागज की नाव इत्यादि विभिन्न विषयों पर बहुत सुंदर तरीके से अपनी कलम चलाई है। इस कविता संग्रह की कविताओं में कवयित्री द्वारा बीते हुए दिनों को फिर से जीवंत करने का प्रयास किया गया है। संवेदना, भावुकता एवं मार्मिकता से परिपूर्ण कविताएं हृदय को गहराई से छू लेती हैं। इस कविता संग्रह की माय ग्रैंड पा, नानी हाउस इन देल्ही-6, सिक्स ऑफ कप्स और महाशिवरात्रि इत्यादि कविताएं तो बहुत ही प्रभावशाली बन पड़ी हैं। इस कविता संग्रह की अंतिम कविता वीकेंड इन कार निकोबार को पढ़कर समाप्त करने के पश्चात ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे पाठक को कवयित्री के बचपन से युवावस्था के सफर में साथ यात्रा करते हुए शरारत से भरे, मनोरंजक, भावपूर्ण, उत्साह से भरपूर और संघर्षमय जीवन से साक्षात्कार करने का अवसर प्राप्त हुआ हो। दूसरे शब्दों में कहें तो सिक्स ऑफ कप्स नॉस्टैल्जिया का गुलदस्ता है।

    प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी कवयित्री का संवेदना, भावुकता और समाज के प्रति कर्तव्य की भावना दर्शाता लेखन साहित्य जगत के लिए सुखद अनुभूति का आभास करवाता है। आशा है कि अंग्रेजी काव्य जगत कवयित्री की पिछली पुस्तक हर स्टोरी की भांति उनकी दूसरी पुस्तक सिक्स ऑफ कप्स को भी प्रसन्नता व उत्साह के साथ स्वीकार करेगा। मेरी ओर से सिक्स ऑफ कप्स की लेखिका सुश्री नेहा बंसल को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं!

पुस्तक - सिक्स ऑफ कप्स

लेखिका - नेहा बंसल, नई दिल्ली

प्रकाशक - हवाकाल प्रकाशन, दिल्ली

पृष्ठ - 107

मूल्य - 400 रुपये

समीक्षक - सुमित प्रताप सिंह, नई दिल्ली

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