इन दिनों
कोरोना का कहर पूरे संसार पर हावी हो रखा है। अब तो इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन
द्वारा भी महामारी घोषित कर दिया गया है। भोले-भाले देश चीन पर इसे फैलाने का दोष
मढ़ा जा रहा है। हालाँकि चीन ने अपने से भी भोले-भाले देश अमरीका पर इसे फैलाने का
इल्जाम जड़ दिया है। कोरोना आरोप-प्रत्यारोप के खेल से निश्चिंत हो अपने पुण्य
कार्य में व्यस्त है।
ताज़ा समाचार ये है कि कोरोना वायरस ने भारत में भी दस्तक दे दी है।
हालाँकि कोरोना वायरस को इस बात का भान नहीं है, कि उससे भी बड़ा वायरस अपने देश में जाने कबसे मौजूद
है। ये वायरस समय-समय पर अपने संक्रमण द्वारा देश में अपना-अपना योगदान देता रहता
है। अब यदि हम चाहें तो कोरोना की भाँति इस वायरस का भी नामकरण कर सकते हैं. वैसे इसका
नाम 'सड़ोना' रखना उचित रहेगा। इस वायरस की उत्पत्ति तब होती है जब किसी
व्यक्ति की मानसिकता सड़ना आरंभ कर देती है।
इस सड़न
प्रक्रिया के फलस्वरूप उस व्यक्ति के मस्तिष्क में सड़े-गले विचारों की उत्पत्ति
होनी आरंभ हो जाती है। तदुपरांत वह व्यक्ति अपनी जाति, अपने समुदाय अथवा अपने धर्म के सर्वश्रेष्ठ होने की घोषणा
करते हुए दूसरे व्यक्ति की जाति, समुदाय व
धर्म को दीन-हीन मानते हुए उसका व उसके महापुरुषों का मान-मर्दन करना आरंभ कर देते
हैं।
जब दूसरा
व्यक्ति सहनशीलता को गुडबाय बोलकर इस बात का विरोध करना आरंभ कर देता है, तो सड़ोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति
आगबबूला हो उठता है और गुस्से में वह चाकू निकालता है, पेट्रोल बम तैयार करता है, पत्थर इकट्ठे करता है और विरोध
करने वाले व्यक्ति पर धावा बोल देता है। सड़ोना वायरस अवसर पाते ही दूसरे व्यक्ति
को भी संक्रमित कर डालता है। इसके पश्चात ऐसा विध्वंस होना आरंभ होता है कि उसे
देखकर मानवता शर्मसार होते हुए हाथ जोड़कर सड़ोना वायरस से पीड़ित व्यक्तियों से
निवेदन करती है कि अब बस भी करो ना। पर मानवता की नहीं सुनी जाती। कोरोना वायरस ये
देखकर एक पल के लिए तो घबरा जाता है। कोरोना की इस हालत को देखकर सड़ोना वायरस से
पीड़ित व्यक्ति खिलखिलाकर हँसते हुए कहते हैं कि हम सब कोरोना से कम हैं क्या।
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
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