इस दिवाली दिये जलाना
देश की सौंधी माटी के
भूल के भी तुम मत लाना
लड़ियाँ-बल्ब चीन घाती के
अपना पैसा अपने घर में
हमें छिपा के रखना है
लघु उद्योगों की सांसों को
हमें बचा के रखना है
लड़ी-बल्बों से कीट-पतंगे
घर के भीतर बढ़ते हैं
दिये जलाना घी के तुम
बीमारी को ये हरते हैं
चीनी बल्बों से भारत की
अर्थव्यवस्था टिमटिम करती है
देशी दिये अपना के देखो
कैसे ये सरपट भगती है
मँहगे मॉलों में जा-जाकर
पैसा न व्यर्थ लुटाना तुम
देसी बनिये से कर खरीदारी
उसका आस्तित्व बचाना तुम
तब ही मनेगी देश में अपने
अच्छी और सच्ची दिवाली
अर्थव्यवस्था झूमेगी खुश हो
और फैलेगी देश में खुशहाली।
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
चित्र गूगल से साभार
5 टिप्पणियां:
स्वदेशीपन में ही सबकी भलाई है
सच दीपावली पारम्परिक रूप से ही मनानी चाहिए हम सबको
बहुत अच्छी प्रेरक रचना
हार्दिक आभार...
आप सबको दीपावली की एवं नए वर्षकी ढेर सारी शुभकामनाये!
शुभम करोति कल्याणम,
आरोग्यम धन संपदा,
शत्रु-बुद्धि विनाशायः,
दीप ज्योति नमोस्ऽतुते
धन्यवाद...
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