भूरा जैसे ही जज के सामने पहुंचा, फफककर रोने लगा। जज ने उससे पूछा "क्या बात हुई? क्यों रो रहे हो?"
भूरा बोला,"माई बाप हमने चोरी नही की है। इन पुलिस वालों ने हम पर झूठा इल्जाम लगाकर हमें फंसा दिया है।
जज ने कहा, "अच्छा यदि तुमने चोरी नही की तो उस जगह पर देर रात क्या कर रहे थे।"
भूरा ने सुबकते हुए बोला, "जज साहब हम दिल्ली में नए-नए आये थे इसलिए रात को रास्ता भटक गये थे। रास्ते में इन पुलिस वालों ने पकड़ कर चोरी के इल्जाम में बंद कर दिया।"
जज ने कुछ सोच विचार के बाद भूरा से कहा,"बेटा चिंता मत करो मैं तुम्हारे साथ न्याय करूँगा।"
इतना कहकर जज ने भूरा के वारंट में कुछ लिखा और हस्ताक्षर करके भूरा को पेश करने लाये सिपाही के हवाले करवा दिया।
कोर्ट के कमरे से निकलकर थोड़ी दूर चलने के बाद भूरा अचानक खिल -खिलाकर हँसने लगा।
उसे पकड़े हुए चल रहे सिपाही ने हैरान होकर उसकी ओर देखा व बोला, "भूरा अभी तो तू इतना रो रहा था और अब अचानक यूँ हँसने लगा। क्या बात हैं? कहीं तेरे दिमाग के पुर्जे तो ढीले नही हो गये?"
भूरा हँसते हुए बोला, "अरे दीवान जी! यह सब करना पड़ता है। अगर मैं जज के सामने ये सब ड्रामा नहीं करता तो आज वह मुझे पक्का सजा दे देता। लेकिन मेरे इस ड्रामे के कारण शायद वह मुझे बरी कर दे। देखा मैंने उस जज को गधा बना दिया।"
सिपाही ने मुस्कुराते हुए कहा, "भूरे! तेरे जैसे छत्तीस अपराधियों से वह जज रोज़ निपटता है। तूने जज को नहीं बल्कि जज ने तुझे गधा बना दिया है। यह देख अपना वारंट जज ने तुझे पूरे तीन महीने की जेल की सजा दी है।"
इससे पहले कि भूरा गश खाकर गिरता सिपाही ने उसे संभाल लिया।
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
कार्टून गूगल से साभार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें