रविवार, 23 जुलाई 2023

पबजी वाला प्यार


      मय के साथ-साथ प्यार करने के अंदाज ने भी काफी प्रगति कर ली है। अब पेड़ों के इर्द-गिर्द घूमते हुए प्यार का इजहार करने वाला दौर नहीं रहा और न ही अब अपने प्यार को जताने के लिए सालों-साल तक अपने प्रेमी या प्रेमिका के गली-मोहल्ले या कूचे में भटकते रहने का समय रहा। अब तो पबजी वाले प्यार का ज़माना आ गया है। पबजी पर ऑनलाइन खेल खेलते हुए कब खेल-खेल में प्यार हो जाए पता ही नहीं चल पाता है। प्यार भी ऐसा होता है कि उसकी बाधा बनने वाली देश की सीमाएं भी तोड़ दी जाती हैं। हालांकि पुराने वाले प्यार की तरह पबजी वाला प्यार भी जाति, धर्म या समुदाय को स्वीकार नहीं करता, लेकिन इस नए-नवेले प्यार के रुप ने प्यार के लिए हर उल्टा-सीधा उपाय आजमाने की नीति अपनाई है। इश्क़ और जंग में सब जायज़ है मुहावरे को सही मायने में चरितार्थ इस पबजी वाले प्यार ने ही किया है।
     कई साल पहले एक फिल्म आई थी जिसमें नायक अपनी प्रेमिका को वापिस अपने देश में लाने के लिए पड़ोसी देश में जाकर प्यार के दुश्मनों से भिड़ जाता है और यहां तक कि गुस्से में उनका हैंडपंप तक उखाड़ डालता है। इधर मामला दूसरे टाइप का है। पबजी वाले प्यार में किसी से भिड़ने के बजाय खेल-खेल में बड़ा लंबा खेल खेलते हुए ऑफलाइन प्रेमी को दुलत्ती जड़कर और उसका सबकुछ बेचकर ऑनलाइन प्रेमी से प्यार की पींगें बढ़ाने के लिए रफूचक्कर हो प्रेमिका द्वारा पड़ोसी देश में अपने प्रेमी के यहां पहुंचने का शातिर खेल खेला जाता है। इस शातिर खेल को देखकर पड़ोसी देश का मीडिया और जन परेशान नहीं होते, बल्कि इसमें अपना गौरव और जीत का अनुभव करते हैं। मजे की बात ये है कि कुछ साल पहले जिस देश में पबजी खेल को प्रतिबंधित कर दिया गया था, उस देश में पबजी वाला प्यार कुलांचें भर रहा है। 
    देश का मीडिया अपने टीआरपी वाले प्यार में डूबकर मदहोश हो पबजी वाले प्यार की गाथा सुबह-शाम, दिन-रात सुना-सुना कर देश की जनता का भेजा खाली कर डालता है। सोशल मीडिया पर लिखाड़ू वीर पबजी वाले प्यार के पक्ष-विपक्ष में धड़ाधड़ लेख लिखकर सोशल मीडिया की कमर तोड़ने के लिए कमर कस लेते हैं। कोई इस पबजी वाले प्यार को देश की जीत मानता है तो कोई धर्म या समुदाय की। इस जीत के उत्सव में पूरा देश प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से डूब जाता है। इस बीच इस देश की सीमा एक पल को पबजी वाले प्यार की प्रेमिका की धूर्तता और चतुराई की सीमा को देखती है और दूसरे पल को देशवासियों की मूर्खता की सीमा को।

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