मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

व्यंग्य : क्या देश वाकई में चीख रहा है


    देश में इन दिनों चीख-पुकार मची हुई है। जब भी देश में कुछ नया होता है तो लोग चीखते हैं और पूरा दम लगाकर चीखते हैं। इस बार चीखने की शुरुआत नवंबर, 2016 को हुई थी। बड़े नोटों की बंदी ने देश के कुछ भले और ईमानदार लोगों के दिलों पर करारा आघात किया, जिससे वो एकदम से बिलबिला उठे। उनसे ज्यादा परेशान उनके संरक्षक और आका हो गए और सड़क से लेकर संसद तक उन्होंने जमकर चीख-पुकार मचानी शुरू कर दी। हालाँकि इस फैसले से उनका नेक दिल बहुत दुखा और उन्होंने काफी कष्ट और परेशानी महसूस की पर उन्होंने देश की जनता के कष्टों को ढाल बनाकर तलवारबाजी करनी शुरू कर दी। वैसे अगर देखा जाए तो उनका चीखना जायज भी है। देश की जनता का खून चूस-चूसकर ईमानदारी और मेहनत से जमा किया इतना ढेर सारा धन यूँ अचानक रद्दी हो जाए तो भला कोई चुप रह भी कैसे सकता है। इसलिए भुक्तभोगी चीख रहे हैं और इस चीख-पुकार से जनता को दिग्भ्रमित करते हुए अपने रद्दी हो चुके धन को फिर से धन की श्रेणी में लाने की भरपूर जुगत लगा रहे हैं। बैंक कर्मचारियों के रूप में अपने देश में एक नई ईमानदार कौम का उदय हुआ है और ईमानदारी में वो बाकी कौमों को तेजी से पीछे छोड़ने को तत्पर है। उनकी ईमानदारी देखनी हो तो बैंक के पिछले दरवाजे पर खड़े हो जाएँ। आपको बिना किसी विशेष परिश्रम के ही बैंककर्मियों के दिलों से झाँकती हुई विशेष ईमानदारी के दर्शन हो जाएँगे। साथ ही साथ दिख जाएँगे चीखते रहनेवाले वे भले और ईमानदार लोग भी। बैंक कर्मचारियों द्वारा चीखनेवाले भले मानवों को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से गड्डियों का भोग लगाया जाता है, जिसे वे अपने सेवकों को प्रसाद के रूप में वितरित करके फिर से चीखना-चिल्लाना शुरू कर देते हैं। यह देख उनके चमचे भी प्रसाद को ठिकाने लगाकर अपने गुरुओं का समर्थन करते हुए उनका साथ देते हुए रेंकना शुरू कर देते हैं। जो चमचे चीखने में असमर्थ हैं और कलम तोड़ने में सिद्धहस्त हैं उन्हें आभासी दुनिया पर बिठा दिया जाता है और वो सभी निष्ठापूर्वक अपने आकाओं के समर्थन व नोटबंदी के विरोध में आभासी दुनिया पर चिल्ल-पों मचाना आरंभ कर देते हैं तथा ये घोषित करने का पूरा प्रयास करते हैं कि पूरा देश उनके संग विरोध में चीख रहा है जबकि मामला कुछ और ही होता है। दरअसल पूरा देश उन सबकी चीख-पुकार सुनते हुए खिलखिलाकर हँस रहा होता है।


लेखक : सुमित प्रताप सिंह

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...