अंग्रेजी भाषा का हमारे देश में बहुत महत्त्व है। ये महत्त्व कुछ वैसा ही जैसा प्राचीन काल में संस्कृत और मध्यकाल में फारसी का था। एक कहावत भी तो है ‘हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े लिखे को फारसी क्या।’ हालाँकि आधुनिक समय में ये कहावत सिर्फ कहने को ही रह गयी है, क्योंकि अब हर कथित पढ़ा-लिखा फारसी नहीं, बल्कि अंग्रेजी का ज्ञान लेना अधिक उचित समझता है। हम भारतीयों में निरंतर जागरूकता आ रही है और हम पुरानी पहचान का सफाया करने में जुटे हुए हैं, सो हो सकता है कि किसी दिन हम उपरोक्त कहावत में से फारसी को संशोधित कर उसके स्थान पर अंग्रेजी को ससम्मान बिठा दें। बहरहाल अंग्रेजी से अपना मिलन कक्षा पांचवीं में हुआ था। अपन ग्राउंड फ्लोर के सरकारी फ्लैट के बाहर खड़े हुए थे कि ऊपर के किसी फ्लोर से एक पुस्तक नीचे आकर गिरी। पुस्तक प्रेमी होने के कारण अपन ने उसे उठाया और उसकी धूल झाड़कर उसके पन्ने पलटते हुए उसकी जाँच-पड़ताल करने लगे। पुस्तक अंग्रेजी का बेसिक ज्ञान सिखाने वाली थी। अपन ने उसका अध्ययन करके कुछ दिनों में अंग्रेजी में नाम लिखने सीख लिए। फिर एक अंग्रेजी बोलना सिखाने वाली पुस्तक मिल गयी। अपन ने उसके भी रट्टे मारने शुरू कर दिए। सरकारी स्कूल में अपने दोस्तों के बीच अंग्रेजी के दो-चार रटे हुए शब्दों की बदौलत अपन पढ़े-लिखे छात्रों की श्रेणी में आने लगे।
कुछ दिन बाद अपन का परिवार संग गाँव में जाना हुआ। एक दिन अपन गाँव के बच्चों संग एक खेत की मेंढ पर पर बैठे हुए थे। अपन को चारों ओर से गाँव के बच्चों ने घेर रखा था।
तभी एक बच्चा बोला, "काय भैया, तुम तो सहर में पढ़त हौगे। तौ तुम्हें अंग्रेजी तो आतई हुइए।"
अपन ने कहा, "हाँ थोड़ी बहुत आती है।" ये इसलिए कहना पड़ा क्योंकि अगर अपन मना करते तो गाँव के बच्चे अपन का मजाक उड़ाते। उनके अनुसार शहर में पढ़ते हो तो अंग्रेजी तो आनी ही चाहिए।
तभी एक दूसरा बच्चा आगे आया और बोला, "तुम्हें अंग्रेजी आत है तो हमाए एक सवाल को जबाब देओ?"
अपन ने गंभीर हो कहा, "पूछो!"
बच्चे ने अकड़कर पूछा, "वाट डू यू वांट?"
अपन ने झट से अपने राम जी को याद किया और आँखें बंद कर उस पुस्तक के पन्नों को टटोलने लगे जिनका रट्टा मार-मार कर अपन अपनी क्लास के दोस्तों पर अंग्रेजी के शब्दों को फैंकते रहते थे। अपने राम जी ने अपनी मदद की और उस अंग्रेजी बोलना सिखानेवाली पुस्तक का वो पन्ना आँखों के सामने आ गया जिसमें गाँव के बच्चे द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर लिखा हुआ था। अपन ने झट से आँखें खोलीं और इठलाते हुए उत्तर दिया, "आई वांट ए गिलास ऑफ़ वाटर।"
ये सुनकर वहाँ मौजूद सारे बच्चे एक साथ खुश होते हुए बोले,"अरे, जाको तौ अंग्रेजी आत है।"
और इस तरह इस सरकारी स्कूल के छात्र की इज्जत बाल-बाल बच गई।
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
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