शुक्रवार, 30 जून 2023

टमाटर महाराज की चिंता


     राजसभा सजी हुई थी। सिंहासन पर टमाटर महाराज अभिमान में चूर हो विराजमान थे। नगरवधू मंहगाई उनके चरणों की दासी बनी हुई उनकी सेवा में रत थी। सारी सब्जियां व फल बारी-बारी से टमाटर महाराज को प्रणाम कर राजसभा में स्थित आसनों पर उदास मन के साथ बैठ चुके थे। दालें अपने-अपने मुखों पर प्रसन्नता का झूठा आवरण चढ़ाए नृत्य करते हुए टमाटर महाराज का मनोरंजन कर रहीं थीं। प्याज देव से अदेव की श्रेणी में पहुंच टमाटर महाराज की भुजाओं को गीले नयनों संग धीमे-धीमे दबाने में व्यस्त थे। कालाबाजारियों के लिए टमाटर महाराज के निकट विशेष आसनों की व्यवस्था की गई थी। आम जनता को द्वारपाल बैगनों ने मुख्य द्वार पर ही रोक लिया था। आम जनता विवश हो दूर से ही टमाटर महाराज को देख कर दिवा स्वप्न में डूबी हुई लार टपका रही थी। तभी टमाटर महाराज ने सीसीटीवी ऑपरेटर भिंडी को आदेश दिया कि सीसीटीवी फुटेज देखकर हाल ही में सत्ता से पदच्युत हुए पेट्रोल महाराज की वर्तमान स्थिति का पता लगाया जाए। भिंडी त्वरित कार्यवाई कर पेट्रोल महाराज की वर्तमान स्थिति का पता लगा कर टमाटर महाराज के सम्मुख प्रस्तुत हुई।

टमाटर महाराज - कहो भिंडी क्या समाचार लाई हो?

भिंडी - महाराज, पेट्रोल के वर्तमान स्थिति प्याज की भांति बहुत खराब है।

प्याज के साथ दरबार में बैठे बाकी सभाजनों ने चौंक कर भिंडी को देखा। कभी प्याज को परमप्रिय महाराज से संबोधित करने वाली भिंडी के इस रूप को देखकर सभी ने उसे मन ही मन प्रणाम किया। बेचारे प्याज ने धीमे से सांस छोड़ते आह भरी और फिर से अपने कार्य में जुट गया।

तभी सेनापति कद्दू ने पेट्रोल को बंदी बनाकर राजसभा में प्रस्तुत किया।

सेनापति कद्दू - महाराज, ये दुष्ट डीजल और गैस के साथ आपको सिंहासन से हटाने का षड्यंत्र रच रहा था।

टमाटर महाराज ने पेट्रोल से पूछा - क्या ये सच है?

बेचारा पेट्रोल, टमाटर महाराज से दृष्टि नहीं मिला पा रहा था।

टमाटर महाराज - तू और तेरे साथी चाहे जितने भी प्रयत्न कर लें, किन्तु मुझे इस सिंहासन से नहीं डिगा पायेंगे।

इतना कहकर टमाटर महाराज ने जोर-जोर से हंसना आरंभ कर दिया।

टमाटर महाराज की हंसी में अनमने मन से राजसभा के बाकी सभाजनों ने भी साथ दिया।

तभी आकाशवाणी हुई - मूर्ख टमाटर, इस जग में कुछ भी चिरस्थाई नही है। जिस सिंहासन पर बैठ कर तू अभिमानित हो रहा है एक दिन उसी से औंधे मुंह नीचे गिरेगा।

टमाटर महाराज उस आकाशवाणी को सुनकर सकपका गए। फिर संभलकर उन्होने कड़क स्वर में राजसभा में पूछा - किसी ने कुछ सुना?

राजसभा में सभी ने एक स्वर में उत्तर दिया- नहीं महाराज!

टमाटर महाराज ने अनुभव किया कि सभी राजसभा जन मंद-मंद मुस्कुरा रहें हैं। तभी प्याज ने उत्साहित हो टमाटर महाराज की भुजाओं को और जोर-जोर से दबाने की प्रक्रिया अपनायी तथा दालों ने और अधिक आनंदित हो नृत्य करना आरंभ कर दिया। सभी ने कनखियों से देखा कि टमाटर महाराज के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं और वहां से अचानक पसीने की पतली धार बहने लगी।

लेखक : सुमित प्रताप सिंह

शुक्रवार, 16 जून 2023

अंग्रेजी का टैस्ट


   अंग्रेजी भाषा का हमारे देश में बहुत महत्त्व है। ये महत्त्व कुछ वैसा ही जैसा प्राचीन काल में संस्कृत और मध्यकाल में फारसी का था। एक कहावत भी तो है ‘हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े लिखे को फारसी क्या।’ हालाँकि आधुनिक समय में ये कहावत सिर्फ कहने को ही रह गयी है, क्योंकि अब हर कथित पढ़ा-लिखा फारसी नहीं, बल्कि अंग्रेजी का ज्ञान लेना अधिक उचित समझता है। हम भारतीयों में निरंतर जागरूकता आ रही है और हम पुरानी पहचान का सफाया करने में जुटे हुए हैं, सो हो सकता है कि किसी दिन हम उपरोक्त कहावत में से फारसी को संशोधित कर उसके स्थान पर अंग्रेजी को ससम्मान बिठा दें। बहरहाल अंग्रेजी से अपना मिलन कक्षा पांचवीं में हुआ था। अपन ग्राउंड फ्लोर के सरकारी फ्लैट के बाहर खड़े हुए थे कि ऊपर के किसी फ्लोर से एक पुस्तक नीचे आकर गिरी। पुस्तक प्रेमी होने के कारण अपन ने उसे उठाया और उसकी धूल झाड़कर उसके पन्ने पलटते हुए उसकी जाँच-पड़ताल करने लगे। पुस्तक अंग्रेजी का बेसिक ज्ञान सिखाने वाली थी। अपन ने उसका अध्ययन करके कुछ दिनों में अंग्रेजी में नाम लिखने सीख लिए। फिर एक अंग्रेजी बोलना सिखाने वाली पुस्तक मिल गयी। अपन ने उसके भी रट्टे मारने शुरू कर दिए। सरकारी स्कूल में अपने दोस्तों के बीच अंग्रेजी के दो-चार रटे हुए शब्दों की बदौलत अपन पढ़े-लिखे छात्रों की श्रेणी में आने लगे।

कुछ दिन बाद अपन का परिवार संग गाँव में जाना हुआ। एक दिन अपन गाँव के बच्चों संग एक खेत की मेंढ पर पर बैठे हुए थे। अपन को चारों ओर से गाँव के बच्चों ने घेर रखा था। 

तभी एक बच्चा बोला, "काय भैया, तुम तो सहर में पढ़त हौगे। तौ तुम्हें अंग्रेजी तो आतई हुइए।" 

अपन ने कहा, "हाँ थोड़ी बहुत आती है।" ये इसलिए कहना पड़ा क्योंकि अगर अपन मना करते तो गाँव के बच्चे अपन का मजाक उड़ाते। उनके अनुसार शहर में पढ़ते हो तो अंग्रेजी तो आनी ही चाहिए। 

तभी एक दूसरा बच्चा आगे आया और बोला, "तुम्हें अंग्रेजी आत है तो हमाए एक सवाल को जबाब देओ?" 

अपन ने गंभीर हो कहा, "पूछो!" 

बच्चे ने अकड़कर पूछा, "वाट डू यू वांट?" 

अपन ने झट से अपने राम जी को याद किया और आँखें बंद कर उस पुस्तक के पन्नों को टटोलने लगे जिनका रट्टा मार-मार कर अपन अपनी क्लास के दोस्तों पर अंग्रेजी के शब्दों को फैंकते रहते थे। अपने राम जी ने अपनी मदद की और उस अंग्रेजी बोलना सिखानेवाली पुस्तक का वो पन्ना आँखों के सामने आ गया जिसमें गाँव के बच्चे द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर लिखा हुआ था। अपन ने झट से आँखें खोलीं और इठलाते हुए उत्तर दिया, "आई वांट ए गिलास ऑफ़ वाटर।" 

ये सुनकर वहाँ मौजूद सारे बच्चे एक साथ खुश होते हुए बोले,"अरे, जाको तौ अंग्रेजी आत है।" 

और इस तरह इस सरकारी स्कूल के छात्र की इज्जत बाल-बाल बच गई।

लेखक : सुमित प्रताप सिंह

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