चीनी वायरस कोरोना के कारण देश में हुए लॉकडाउन के बाद मंच के धुरंधर कवि चोरोना लाल पर बहुत बड़ी आफत आ गयी। पूरे साल मंच पर व्यस्त रहने वाले चोरोना लाल अचानक कुछ भी करो न की स्थिति में आ गए थे। अब उनकी दौड़ इस कमरे से उस कमरे या कमरे से बाथरूम, लैट्रिन या बालकनी तक ही होती थी। एक दिन उन्होंने अपनी दौड़ का रास्ता बदल दिया और कमरे से रसोई की ओर चले गए। वहाँ उनकी पत्नी ने अपनी थकान का हवाला देकर उनसे पूरे दिन के बर्तन धुलवा लिए और चुपके से इस दुर्घटना का वीडियो भी बना लिया। अगले दिन से पत्नी ने उस वीडियो को टिकटोक पर डालने की धमकी देकर उन्हें अपनी दौड़ कमरे से रसोई के बीच लगाने को विवश कर दिया। बीच में एक-आध बार उनकी दौड़ कमरे से बाथरूम के बीच हुई तो बेचारे पत्नी के धमकी भरे आदेश के कारण कपड़ों पर भी जोर आजमाइश कर आए। उन्होंने अचानक आयीं इन विपत्तियों का सदुपयोग करने का विचार किया और मंच के लिए कुछ दर्द भरी रचनाओं का निर्माण करने की योजना बनाने लगे। पर उनकी ये योजना सफल नहीं हो पायी और उनसे किसी भी रचना का निर्माण लाख प्रयास करने के बाद भी न हो पाया।
उन्होंने सोचा कि दर्द भरी रचना ना सही कुछ प्रेम भरे गीत ही बनाए जाएं। इसके लिए वो घर से चुपचाप निकल कर अपनी सोसाइटी के बगल में बने लंबे-चौड़े गार्डन में पहुँचे और अपने बटुए में छिपायी हुई मंच की युवा कवियत्री छप्पन छुरी की तस्वीर निकाली और उसमें डूबते हुए स्वप्न संसार में प्रेमगीत की खोज में भटकने लगे। तभी उनकी पीठ पर पड़े जोरदार लट्ठ ने उन्हें उस स्वप्न संसार से वास्तविक दुनिया में वापस ला पटका। चोरोना लाल ने चोर नज़रों से देखा तो इलाके के थानेदार लठैत सिंह को अपने स्टाफ के संग गुस्से में खड़ा पाया। इससे पहले कि उन पर लठैत सिंह के लट्ठ का दूसरा वार होता, उन्होंने बिना देर किए लठैत सिंह के पैर पकड़ लिए। चोरोना लाल ने आयोजकों और संयोजकों के पैर पकड़ने का सालोंसाल जो अभ्यास किया था वो उस दिन काम आया और लठैत सिंह उनको बिना लट्ठ जड़े घर में पड़े रहने की कड़ी चेतावनी देकर वहाँ से चले गये।
अगला दिन भी चोरोना लाल का रचना निर्माण के संघर्ष करते हुए कमरे से क्रमशः दूसरे कमरे, रसोई, बाथरूम, लैट्रिन और बालकनी की दौड़ लगाते हुए ही बीता। रात को बड़ी उदासी के साथ चोरोना लाल अपने मस्तिष्क से रचना का निर्माण करो ना का निवेदन करते हुए बिस्तर पर ढेर हो गए।
अगले दिन चोरोना लाल के घरवालों ने देखा कि वो बिस्तर पर पड़े-पड़े अधमरे हो कुछ बड़बड़ा रहे थे। घरवालों ने ध्यान से सुना तो चोरोना लाल बड़बड़ाते हुए 'प्राण दें' 'ऊर्जा दें' 'आशीर्वाद दें' इत्यादि वाक्यों को बार-बार दोहरा रहे थे।
घरवालों ने नीम-हकीम, डॉक्टर, झाड़-फूँक जैसे सारे उपाय कर डाले पर चोरोना लाल की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। अचानक उनकी पत्नी को न जाने क्या सूझी और उन्होंने चोरोना लाल के गुरु श्री जुगाड़ करोना को फोन मिला दिया। चोरोना लाल की पत्नी की पूरी बात को सुनकर गुरुजी मंद-मंद मुस्कुराये और उन्होंने चोरोना लाल की पत्नी को इस परेशानी से बाहर निकलने का उपाय सुझाया।
अगले दिन निश्चित समय पर घर में रखे पुराने तख्त को सजाकर मंच का निर्माण किया और उस पर चोरोना लाल को स्थापित किया गया। घर के बाकी सदस्य श्रोता बनकर नीचे दरी बिछाकर बैठ गए। इसके पश्चात गुरु श्री जुगाड़ करोना व उनकी कवि मंडली के होनहार जुगाड़ू कवियों को वीडियो कॉलिंग के माध्यम से जोड़ा गया और ऑनलाइन कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया गया। चोरोना लाल ने बारी-बारी से सभी कवियों की रचनाओं को ध्यान से सुना और अपने गुरु श्री जुगाड़ करोना को प्रणाम कर चौर्यकर्म का सदुपयोग करते हुए झट से एक लंबी रचना का निर्माण कर डाला। अब घर के सदस्य चोरोना लाल की हर पंक्ति सुनने के बाद 'प्राण दें' 'ऊर्जा दें' और 'आशीर्वाद दें' इत्यादि वाक्य सुनते ही ताली पीटना आरंभ कर देते। उस ऑनलाइन कवि सम्मेलन के समाप्त होने पर चोरोना लाल की पत्नी ने लिफाफे में 1100 ₹ रुपये रखकर उन्हें दिए। चोरोना लाल ने आदतानुसार उस लिफाफे में से संयोजक का कमीशन निकालकर पत्नी को वापिस कर दिया। शाम तक चोरोना लाल की तबीयत में अप्रत्याशित सुधार आया और उनकी एक कमरे से दूसरे कमरे, रसोई, बाथरूम, लैट्रिन और बालकनी की दौड़ फिर से शुरू हो गयी।
लेखक : सुमित प्रताप सिंह
कार्टून गूगल से साभार