शुक्रवार, 27 मार्च 2020

हास्य व्यंग्य : मंचीय कवि का कोरोना काल


   चीनी वायरस कोरोना के कारण देश में हुए लॉकडाउन के बाद मंच के धुरंधर कवि चोरोना लाल पर बहुत बड़ी आफत आ गयी। पूरे साल मंच पर व्यस्त रहने वाले चोरोना लाल अचानक कुछ भी करो न की स्थिति में आ गए थे। अब उनकी दौड़ इस कमरे से उस कमरे या कमरे से बाथरूम, लैट्रिन या बालकनी तक ही होती थी। एक दिन उन्होंने अपनी दौड़ का रास्ता बदल दिया और कमरे से रसोई की ओर चले गए। वहाँ उनकी पत्नी ने अपनी थकान का हवाला देकर उनसे पूरे दिन के बर्तन धुलवा लिए और चुपके से इस दुर्घटना का वीडियो भी बना लिया। अगले दिन से पत्नी ने उस वीडियो को टिकटोक पर डालने की धमकी देकर उन्हें अपनी दौड़ कमरे से रसोई के बीच लगाने को विवश कर दिया। बीच में एक-आध बार उनकी दौड़ कमरे से बाथरूम के बीच हुई तो बेचारे पत्नी के धमकी भरे आदेश के कारण कपड़ों पर भी जोर आजमाइश कर आए। उन्होंने अचानक आयीं इन विपत्तियों का सदुपयोग करने का विचार किया और मंच के  लिए कुछ दर्द भरी रचनाओं का निर्माण करने की योजना बनाने लगे। पर उनकी ये योजना सफल नहीं हो पायी और उनसे किसी भी रचना का निर्माण लाख प्रयास करने के बाद भी न हो पाया।
उन्होंने सोचा कि दर्द भरी रचना ना सही कुछ प्रेम भरे गीत ही बनाए जाएं। इसके लिए वो घर से चुपचाप निकल कर अपनी सोसाइटी के बगल में बने लंबे-चौड़े गार्डन में पहुँचे और अपने बटुए में छिपायी हुई मंच की युवा कवियत्री छप्पन छुरी की तस्वीर निकाली और उसमें डूबते हुए स्वप्न संसार में प्रेमगीत की खोज में भटकने लगे। तभी उनकी पीठ पर पड़े जोरदार लट्ठ ने उन्हें उस स्वप्न संसार से वास्तविक दुनिया में वापस ला पटका। चोरोना लाल ने चोर नज़रों से देखा तो इलाके के थानेदार लठैत सिंह को अपने स्टाफ के संग गुस्से में खड़ा पाया। इससे पहले कि उन पर लठैत सिंह के लट्ठ का दूसरा वार होता, उन्होंने बिना देर किए लठैत सिंह के पैर पकड़ लिए। चोरोना लाल ने आयोजकों और संयोजकों के पैर पकड़ने का सालोंसाल जो अभ्यास किया था वो उस दिन काम आया और लठैत सिंह उनको बिना लट्ठ जड़े घर में पड़े रहने की कड़ी चेतावनी देकर वहाँ से चले गये।
अगला दिन भी चोरोना लाल का रचना निर्माण के संघर्ष करते हुए कमरे से क्रमशः दूसरे कमरे, रसोई, बाथरूम, लैट्रिन और बालकनी की दौड़ लगाते हुए ही बीता। रात को बड़ी उदासी के साथ चोरोना लाल अपने मस्तिष्क से रचना का निर्माण करो ना का निवेदन करते हुए बिस्तर पर ढेर हो गए।
अगले दिन चोरोना लाल के घरवालों ने देखा कि वो बिस्तर पर पड़े-पड़े अधमरे हो कुछ बड़बड़ा रहे थे। घरवालों ने ध्यान से सुना तो चोरोना लाल बड़बड़ाते हुए 'प्राण दें' 'ऊर्जा दें' 'आशीर्वाद दें' इत्यादि वाक्यों को बार-बार दोहरा रहे थे।
घरवालों ने नीम-हकीम, डॉक्टर, झाड़-फूँक जैसे सारे उपाय कर डाले पर चोरोना लाल की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। अचानक उनकी पत्नी को न जाने क्या सूझी और उन्होंने चोरोना लाल के गुरु श्री जुगाड़ करोना को फोन मिला दिया। चोरोना लाल की पत्नी की पूरी बात को सुनकर गुरुजी मंद-मंद मुस्कुराये और उन्होंने चोरोना लाल की पत्नी को इस परेशानी से बाहर निकलने का उपाय सुझाया।
अगले दिन निश्चित समय पर घर में रखे पुराने तख्त को सजाकर मंच का निर्माण किया और उस पर चोरोना लाल को स्थापित किया गया। घर के बाकी सदस्य श्रोता बनकर नीचे दरी बिछाकर बैठ गए। इसके पश्चात गुरु श्री जुगाड़ करोना व उनकी कवि मंडली के होनहार जुगाड़ू कवियों को वीडियो कॉलिंग के माध्यम से जोड़ा गया और ऑनलाइन कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया गया। चोरोना लाल ने बारी-बारी से सभी कवियों की रचनाओं को ध्यान से सुना और अपने गुरु श्री जुगाड़ करोना को प्रणाम कर चौर्यकर्म का सदुपयोग करते हुए झट से एक लंबी रचना का निर्माण कर डाला। अब घर के सदस्य चोरोना लाल की हर पंक्ति सुनने के बाद 'प्राण दें' 'ऊर्जा दें' और 'आशीर्वाद दें' इत्यादि वाक्य सुनते ही ताली पीटना आरंभ कर देते। उस ऑनलाइन कवि सम्मेलन के समाप्त होने पर चोरोना लाल की पत्नी ने लिफाफे में 1100 ₹ रुपये रखकर उन्हें दिए। चोरोना लाल ने आदतानुसार उस लिफाफे में से संयोजक का कमीशन निकालकर पत्नी को वापिस कर दिया। शाम तक  चोरोना लाल की तबीयत में अप्रत्याशित सुधार आया और उनकी एक कमरे से दूसरे कमरे, रसोई, बाथरूम, लैट्रिन और बालकनी की दौड़ फिर से शुरू हो गयी।
लेखक : सुमित प्रताप सिंह

कार्टून गूगल से साभार

रविवार, 15 मार्च 2020

व्यंग्य : हम सब कोरोना से कम हैं क्या



       न दिनों कोरोना का कहर पूरे संसार पर हावी हो रखा है। अब तो इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी महामारी घोषित कर दिया गया है। भोले-भाले देश चीन पर इसे फैलाने का दोष मढ़ा जा रहा है। हालाँकि चीन ने अपने से भी भोले-भाले देश अमरीका पर इसे फैलाने का इल्जाम जड़ दिया है। कोरोना आरोप-प्रत्यारोप के खेल से निश्चिंत हो अपने पुण्य कार्य में व्यस्त है।
ताज़ा समाचार ये है कि कोरोना वायरस  ने भारत में भी दस्तक दे दी है। हालाँकि कोरोना वायरस को इस बात का भान नहीं है, कि उससे भी बड़ा वायरस अपने देश में जाने कबसे मौजूद है। ये वायरस समय-समय पर अपने संक्रमण द्वारा देश में अपना-अपना योगदान देता रहता है। अब यदि हम चाहें तो कोरोना की भाँति इस वायरस का भी नामकरण कर सकते हैं. वैसे इसका नाम 'सड़ोना' रखना उचित रहेगा। इस वायरस की उत्पत्ति तब होती है जब किसी व्यक्ति की मानसिकता सड़ना आरंभ कर देती है।
इस सड़न प्रक्रिया के फलस्वरूप उस व्यक्ति के मस्तिष्क में सड़े-गले विचारों की उत्पत्ति होनी आरंभ हो जाती है। तदुपरांत वह व्यक्ति अपनी जाति, अपने समुदाय अथवा अपने धर्म के सर्वश्रेष्ठ होने की घोषणा करते हुए दूसरे व्यक्ति की जाति, समुदाय व धर्म को दीन-हीन मानते हुए उसका व उसके महापुरुषों का मान-मर्दन करना आरंभ कर देते हैं।
जब दूसरा व्यक्ति सहनशीलता को गुडबाय बोलकर इस बात का विरोध करना आरंभ कर देता है, तो सड़ोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति आगबबूला हो उठता है और गुस्से में वह चाकू निकालता है, पेट्रोल बम तैयार करता है, पत्थर इकट्ठे करता है और विरोध करने वाले व्यक्ति पर धावा बोल देता है। सड़ोना वायरस अवसर पाते ही दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमित कर डालता है। इसके पश्चात ऐसा विध्वंस होना आरंभ होता है कि उसे देखकर मानवता शर्मसार होते हुए हाथ जोड़कर सड़ोना वायरस से पीड़ित व्यक्तियों से निवेदन करती है कि अब बस भी करो ना। पर मानवता की नहीं सुनी जाती। कोरोना वायरस ये देखकर एक पल के लिए तो घबरा जाता है। कोरोना की इस हालत को देखकर सड़ोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति खिलखिलाकर हँसते हुए कहते हैं कि हम सब कोरोना से कम हैं क्या।

लेखक : सुमित प्रताप सिंह

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