बुधवार, 29 मई 2019

व्यंग्य - दौरा बनाम दौर


- भाई नफे!
हाँ बोल भाई जिले!
- जो मैं देख रहा हूँ, क्या तू भी वो सब देख पा रहा है?
- तू भला क्या दिखाने की कोशिश में है?
- अरे उसी को जो धड़ाधड़ जारी है।
- क्या धड़ाधड़ जारी है?
- भाई इन दिनों विभिन्न राजनीतिक दलों में धड़ाधड़ इस्तीफों का सिलसिला चल रहा है। अब तो ये हाल है कि किसी नेता के हाथ में कोई कागज दिखे तो एक पल को ऐसा लगता है कि कहीं वह उसका इस्तीफा न हो।
- हा हा हा अच्छा लतीफा है।
- भाई अब तो इस्तीफे और लतीफे में फर्क करना मुश्किल हो गया है। इस्तीफे इतने धड़ल्ले से दिए जा रहे हैं, जितने धड़ल्ले से कवि सम्मेलनों में कविता के नाम पर लतीफे श्रोताओं को झिलवाये जाते हैं।
- भाई ये  शायद इस्तीफ़ा रूपी लतीफ़ों का दौर है।
- पर ये दौर आया कैसे?
- ये दौर दौरों के फलस्वरूप आया है।
- मैं कुछ समझा नहीं। जरा खुलके बता।
- चुनावों के दौरान नेताओं को विभिन्न प्रकार के दौरे पड़े।
- एक-दो उदाहरण तो दे।
- किसी को अपनी छिन चुकी सत्ता को बचाने का दौरा पड़ा, किसी को तानाशाही का दौरा पड़ा तो किसी को राष्ट्रवाद का दौरा पड़ा।
- भाई पहले दो दौरे तो समझ में आते हैं पर ये तीसरा दौरा भला दौरा कैसे हुआ? जहाँ तक मेरा मानना है कि राष्ट्रवाद एक पवित्र भावना है, जो अपने देश से प्रेम करने वाले हरेक व्यक्ति के दिल में बसती है।
- ये बात तेरे-मेरे जैसे लोग ही तो समझते हैं। बाकी के लिए तो राष्ट्रवाद केवल दौरा है, जो इस देश को विनाश की ओर ले जा रहा है। 
- मतलब कि राष्ट्रवाद को दौरा मानने वालों के अनुसार हमें राष्ट्रवाद को तिलांजलि देकर दुश्मन देश के चरण छूकर उससे शांति की याचना करनी चाहिए, वो अगर हमारे एक गाल पर तमाचा मारे तो अपना दूसरा गाल आगे कर देना चाहिए और देश की थाली में खाकर उसी में छेद करने वाले महानुभावों को ससम्मान अपना कार्य करते देना चाहिए।
- बिलकुल भाई, जो इन सबको स्वीकार न करे, तो उनके अनुसार उसे राष्ट्रवाद के दौरे ही पड़ते हैं। 
- भाई देश का नागरिक अब इतना बौरा नहीं रहा, कि वो कह दें और राष्ट्रवाद दौरा कहलाया जाने लगे।
- तो फिर राष्ट्रवाद को किस नाम से परिभाषित किया जाना चाहिए?
- राष्ट्रवाद ऐसा भयंकर तूफान है जिसमें देश के प्रति दुर्भावना रखने वाले सही-सलामत नहीं बचेंगे।
- तेरे कहने का अर्थ है कि राष्ट्रवाद दौरा नहीं, बल्कि अब राष्ट्रवाद का दौर है।
- बिलकुल भाई, और अब ये दौर देश में अनवरत चलता रहेगा।
- एवमस्तु!

लेखक - सुमित प्रताप सिंह

4 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

भाई जी कड़ा प्रहार

Sumit Pratap Singh ने कहा…

धन्यवाद

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन हिन्दी के पहले समाचार-पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' की स्मृति में ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

Sumit Pratap Singh ने कहा…

आभार

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