शनिवार, 28 अप्रैल 2018

साहब की चिंता


साहब ने चिंतित हो पूछा -
ए मैन तुम अक्सर 
किन ख्यालों में 
जा डूबता?
मैंने उन्हें समझाया -
जनाब! 
मैं ख्यालों नहीं डूबता
बल्कि सदैव 
खोजता रहता हूँ 
समाज में व्याप्त
मूल्यहीनता
भ्रष्टाचार
पाखंड
मिथ्याचार
मूर्खता
दोष 
समस्या
विसंगति
और विद्रूपता।

लेखक - सुमित प्रताप सिंह

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