सोमवार, 16 सितंबर 2024

आया मौसम रोने-धोने का


    ड़ोसी राज्य में रोने-धोने का मौसम फिर से आ चुका है। जगह-जगह रोने-धोने के विधिवत कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। पड़ोसी राज्य में चुनावी घोषणा होने के बाद से ही रोने-धोने के कार्यक्रमों की आशंका सभी को थी। विधायक जी जो सत्ता का मजा सालों से लूट रहे थे, उन्हे इस बार उनकी पार्टी ने टिकट से बेदखल कर दिया। ये बेदखली उनसे बर्दाश्त नहीं हुई और उनकी आंखों से आंसुओं का सैलाब फूट पड़ा, जिसमें उनके भविष्य में अय्याशी करने के सारे सपने डूब कर बेमौत मर गए। उनके जैसे कई विधायक पूर्व विधायक होने की बात को सोच-सोच कर सुबक रहे हैं। कभी वे पार्टी हाईकमान के पैर पकड़ कर रो रहे हैं, कभी अपनी पत्नी के पल्लू में दुबक कर रो रहे हैं तो कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सार्वजनिक रूप से रो रहे हैं। विधायक जी के साथ-साथ सालों से विधायक बनने का सपना पाले हुए पुराने और वरिष्ठ कार्यकर्ता भी रो रहे हैं। पार्टी की नीव को अपने खून-पसीने से सींचने के बावजूद उन्हें अपनी पार्टी से आश्वासन के सिवा कुछ भी हासिल नहीं हुआ। हर बार चुनावी बेला पर वरिष्ठ कार्यकर्त्ता अपने इलाके को स्वयं को भावी विधायक घोषित करने वाले बड़े-बड़े और भारी-भरकम बैनरों व पोस्टरों से पाट देते हैं, लेकिन इन ठठकर्मों से हाईकमान नहीं पट पाता और वे बेचारे मन मसोस कर रह जाते हैं। कभी मंत्रियों के बेटा-बहू, बेटी-दामाद और नाते-रिश्तेदार उनकी योजना को पलीता लगाते हैं तो कभी बैलून कैंडिडेट आकर उनके प्लान को चौपट कर डालते हैं। वे भरकस प्रयत्न करते हैं कि पार्टी हाईकमान और पार्टी के वरिष्ठों के समक्ष स्वयं को पार्टी रत्न साबित कर सकें, पर ऐसा कुछ नहीं हो पाता और अंततः वे दहाड़े मार-मार कर रोने लगते हैं। जनता इस पूरे घटनाक्रम को देख कर मुस्कुराती है और जी भर कर खिलाती है। हालांकि उसकी ये खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाती और चुनाव समाप्त होते ही पूर्व विधायकों और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से रोने-धोने की जिम्मेदारी लेकर अगले पांच सालों के लिए वो रोने-धोने के लिए विवश हो जाती है।

लेखक - सुमित प्रताप सिंह

सोमवार, 19 अगस्त 2024

नॉस्टैल्जिया का गुलदस्ता है सिक्स ऑफ कप्स


    युवा कवयित्री सुश्री नेहा बंसल के हाल ही में प्रकाशित दूसरे अंग्रेजी कविता संग्रह 'सिक्स ऑफ कप्स' को पढ़ने का अवसर मिला। इससे पहले कवयित्री साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी कविताओं के संग्रह 'हर स्टोरी' के माध्यम से पाठकों के लिए उन नारियों की कहानियाँ लेकर आयीं थीं, जिनके बारे में समाज ने लिखना उचित नहीं समझा और यदि लिखा भी है तो उसे नगण्य की श्रेणी में ही रखा जाएगा। दूसरे कविता संग्रह में उन्होंने अपनी भूली-बिसरी यादों को स्थान दिया है। इस पुस्तक को कवयित्री ने अपने बाबा और अपने आईपीएस अधिकारी पति श्री दीपक यादव को समर्पित किया है। पुस्तक की भूमिका में कवयित्री ने इस कविता संग्रह को पाठकों के बीच लाने के उद्देश्य को बताने के लिए पत्रकार डौग लार्सन के कथन का उल्लेख किया है कि नॉस्टैल्जिया एक फाइल है जो अच्छे पुराने दिनों की खुरदरी धारों को हटा देती है। कवयित्री पुस्तक का शीर्षक सिक्स ऑफ कप्स रखने के प्रति पाठकों की जिज्ञासा का समाधान करते हुए बतातीं है, कि इसका शीर्षक एक छोटे आर्काना टैरो कार्ड के नाम पर रखा गया है।  भूमिका के उपरांत दो पृष्ठों में कवयित्री ने इस कविता संग्रह के प्रकाशित होने तक सहयोगी रहे मित्रो, बंधुओं व सहकर्मियों का आभार प्रकट किया है।

    इस कविता संग्रह में कुल 49 कविताएं एवं 3 हाइकु संकलित हैं। कवयित्री ने जहां इस पुस्तक की पहली कविता अपने दादा जी पर लिखी है, वहीं उनकी दूसरी कविता पुरानी दिल्ली में स्थित नानी जी के घर पर केंद्रित है, जो कि उनके अपने बड़े-बुजुर्गों के प्रेम व आदर तथा अपनी जड़ों से जुड़ाव को दर्शाती है। कवयित्री का अपने दादा जी से लगाव का ही परिणाम है कि उनकी उपस्थिति इस कविता संग्रह की कई कविताओं में दर्ज हुई है।  कवयित्री ने  विभिन्न त्योहारों, दूरदर्शन, जीवन में पहली बार खाए डोसे, गुड़िया, पिकनिक, भौतिकी विषय, प्रेम गीत, कलकत्ता में साड़ी खरीदने, बचपन की रामलीला, चंडीगढ़ के रॉक गार्डन, मूंग दाल के हलवे, घर के माली शिवचरण, सांची स्तूप, जन्मदिन की पार्टी, अंधविश्वास, पुदीना की चटनी, कागज की नाव इत्यादि विभिन्न विषयों पर बहुत सुंदर तरीके से अपनी कलम चलाई है। इस कविता संग्रह की कविताओं में कवयित्री द्वारा बीते हुए दिनों को फिर से जीवंत करने का प्रयास किया गया है। संवेदना, भावुकता एवं मार्मिकता से परिपूर्ण कविताएं हृदय को गहराई से छू लेती हैं। इस कविता संग्रह की माय ग्रैंड पा, नानी हाउस इन देल्ही-6, सिक्स ऑफ कप्स और महाशिवरात्रि इत्यादि कविताएं तो बहुत ही प्रभावशाली बन पड़ी हैं। इस कविता संग्रह की अंतिम कविता वीकेंड इन कार निकोबार को पढ़कर समाप्त करने के पश्चात ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे पाठक को कवयित्री के बचपन से युवावस्था के सफर में साथ यात्रा करते हुए शरारत से भरे, मनोरंजक, भावपूर्ण, उत्साह से भरपूर और संघर्षमय जीवन से साक्षात्कार करने का अवसर प्राप्त हुआ हो। दूसरे शब्दों में कहें तो सिक्स ऑफ कप्स नॉस्टैल्जिया का गुलदस्ता है।

    प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी कवयित्री का संवेदना, भावुकता और समाज के प्रति कर्तव्य की भावना दर्शाता लेखन साहित्य जगत के लिए सुखद अनुभूति का आभास करवाता है। आशा है कि अंग्रेजी काव्य जगत कवयित्री की पिछली पुस्तक हर स्टोरी की भांति उनकी दूसरी पुस्तक सिक्स ऑफ कप्स को भी प्रसन्नता व उत्साह के साथ स्वीकार करेगा। मेरी ओर से सिक्स ऑफ कप्स की लेखिका सुश्री नेहा बंसल को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं!

पुस्तक - सिक्स ऑफ कप्स

लेखिका - नेहा बंसल, नई दिल्ली

प्रकाशक - हवाकाल प्रकाशन, दिल्ली

पृष्ठ - 107

मूल्य - 400 रुपये

समीक्षक - सुमित प्रताप सिंह, नई दिल्ली

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