सुमित के तड़के
दिल्ली पुलिस के सुपरिचित साहित्यकार सुमित प्रताप सिंह का ब्लॉग
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शनिवार, 28 अप्रैल 2018
साहब की चिंता
साहब ने चिंतित हो पूछा -
ए मैन तुम अक्सर
किन ख्यालों में
जा डूबता?
मैंने उन्हें समझाया -
जनाब!
मैं ख्यालों नहीं डूबता
बल्कि सदैव
खोजता रहता हूँ
समाज में व्याप्त
मूल्यहीनता
भ्रष्टाचार
पाखंड
मिथ्याचार
मूर्खता
दोष
समस्या
विसंगति
और विद्रूपता।
लेखक - सुमित प्रताप सिंह
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