शनिवार, 26 अगस्त 2023

चंदा मामा बस एक टूर के


     चंदा मामा आँखें बंद किए हुए कुछ गुनगुना रहे थे, कि तभी उन्हें आभास हुआ, कि उनके दक्षिणी ध्रुव पर कोई धीमे से उतरा है। एक बार को तो उन्होंने विचार किया कि यह उनका भ्रम है, लेकिन तभी वंदे मातरम और जय हिंद की गूंजती ध्वनियों ने इस बात की पुष्टि कर दी कि कोई न कोई तो उनसे मिलने आया है। उन्होंने फिर गुनगुनाना आरंभ कर दिया - लो आ गया दीवाना कोई, गाने को तराना हिंद का। 

चंद्रयान-3 ने चंदा मामा को अपना परिचय देते हुए कहा - चंदा मामा, मैं चंद्रयान-3 हूँ। मैं हिंदुस्तान से आया हूँ। 

चंदा मामा ने तंज कसा - कमाल है जिस देश में जाति, समुदाय और धर्म की राजनीति से ही लोगों को समय नहीं मिल पाता। दूसरे के महापुरुषों और योद्धाओं का अपरहण कर अपनी जाति का ठप्पा लगाने में व्यस्त रहने वाले देश को भला इतनी फुर्सत कैसे मिल गयी जो तुम्हें यहाँ भेज दिया। 

 चंद्रयान-3 ने हँसते हुए कहा - चंदा मामा, जिसकी जैसी प्रवृत्ति होगी, वह वैसा व्यवहार तो करेगा ही है। हिंदुस्तान में ऐसे धूर्त और मूर्ख लोगों के बजाय उन लोगों की संख्या अधिक है जिनकी प्रवृति है अपने देश के नाम और सम्मान को लगातार ऊंचा उठाने की कोशिश करते रहना। आज मेरा आपसे मिलना उसी कोशिश का ही सुखद परिणाम है।

चंदा मामा ये सुनकर खुश हो गए - ये तो बहुत अच्छी बात है। अच्छा ये बताओ भांजे कि हिंदुस्तान से मेरे लिए क्या उपहार लेकर आए हो?

चंद्रयान-3 ने अपनी जेब से राखी निकाली और चंदा मामा को सौंपते हुए कहा - चंदा मामा, आपके लिए उपहार तो देशवासियों ने ढेर सारे सौंपे थे, लेकिन इस राखी के प्रेम का भार इतना अधिक हो गया था कि उन सभी उपहारों को साथ न ला पाया।

चंदा मामा भावुक होते हुए बोले - इससे बड़ा और कीमती उपहार तो कोई हो भी नहीं सकता। अच्छा अब ये बताओ कि हिंदुस्तान में अभी भी मेरे लिए कविता या गीत गाते हैं कि नहीं?

ये पूछ कर उन्होंने चंदा मामा दूर के' कविता को गुनगुनाना आरंभ कर दिया।  

चंद्रयान-3 मुस्कुराते हुए बोला - चंदा मामा, इन दिनों हिंदुस्तान में कविता या गीत के बजाय ऑनलाइन नाचने का चलन चल पड़ा है। लोग अपनी बहू-बेटियों को सोशल मीडिया पर बेशर्मी से दिन-रात नचवा रहे हैं और खुद भी उनके साथ ठुमके लगा रहे हैं। लाज और मर्यादा को उन्होंने खूँटी पर टांग दिया है। हालाँकि आपके चाहने वाले अभी भी आपको कविताओं और गीतों में जीवित रखे हुए हैं। पर..।

चंदा मामा ने पूछा - पर क्या?

चंद्रयान-3 ने बताया - पर आपकी प्रिय कविता में थोड़ा सा बदलाव आ गया है।

चंदा मामा - कैसा बदलाव?

चंद्रयान-3 ने हँसते हुए बताया - कविता में अब चंदा मामा दूर के नहीं बल्कि बस एक टूर के हो गए हैं।

     ये सुनते ही चंदा मामा खिलखिला कर हँसने लगे। चंद्रयान-3 ने तिरंगा झंडा निकाल कर चंदा मामा के ऊपर फहरा दिया। ये देख मन ही मन जल रहे देश के दुश्मनों के सीनों को अंतरिक्ष से टूट कर गिरते धूमकेतुओं ने धरती के बजाय उन पर ही गिर कर उन्हें जला कर पूरी तरह खाक कर दिया।

लेखक: सुमित प्रताप सिंह

कार्टून गूगल से साभार 

शनिवार, 19 अगस्त 2023

हैडपंप का पाकिस्तान को खत


     पाकिस्तान में दूसरी बार गदर मचने के बाद बुरी तरह घायल हुए हैंडपंप ने अपनी सरकार को खत लिखा है। जिसमें उसने मांग की है कि अब उसे जमीन से पानी निकालने के काम से वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम के तहत रिटायर कर दिया जाए और उसके बेटे टोंटी वाले नल को मुल्क की खिदमत करने का मौका दिया जाए। उसने इसकी वजह बताते हुए कहा है कि वह खुद की जमीन उखाडू बेइज्जती से बहुत ज्यादा दुःखी हो चुका है। हर बार सरहद पार से कोई तारा सिंह आता है और उसका सितारा गर्दिश में डाल देता है। पाकिस्तान की फ़ौज और पुलिस देखती रह जाती है और वह उस हैडपंप को उखाड़ कर उसके जरिए उसके मुल्क के लोगों का बुरी तरह बैंड बजवा कर अपने बीबी-बच्चों के साथ वापिस अपने मुल्क़ को लौट जाता है।

     आखिरकार वह कब तक पड़ोसी मुल्क के उस खूंखार इंसान के हाथों खुद की, अपने मुल्क की और अपने मुल्क के लोगों की हर बार होने वाली बुरी हालत और बेइज्जती को बर्दाश्त करता रहेगा। उसने आगे समझाते हुए कहा है कि पिछली बार गदर में सिर्फ अपने मुल्क के लोग परेशान थे पर पड़ोसी मुल्क के लोगों ने खूब जमकर मजा लिया था। लेकिन इस बार तो पड़ोसी मुल्क भी हमारे साथ-साथ रो रहा है। दूसरे गदर में सकीना की ओवरएक्टिंग और हद से ज्यादा रोने-धोने ने उसके लोगों के दिलोदिमाग में सिनेमा से ऊब पैदा कर दी है। वे बेचारे तारा सिंह के गला फाड़-फाड़ कर चिल्लाने से अपने कान के परदे फटने की चिंता से बेहद घबराए हुए हैं। उस ओर के वीआरएस ले चुके हैंडपंपों ने दुत्कारते हुए पैगाम भेजा है, कि अपने देश से कहो कि बेशक अपने आकाओं से थोड़ी और भीख मांगनी पड़े पर अब अपने देश के हैंडपंपों को वीआरएस देकर विश्राम करने और टोंटी वाले नलों को काम पर लगाने का आदेश जारी कर दे वरना तीसरा गदर आएगा और तुम्हारे देश की बत्ती गुल करके चला जायेगा। बाकी कुछ बचेगा तो हमारे देशवासियों द्वारा दिया गया श्राप तुम्हारा तिया-पांचा कर देगा। तुम्हारे देश के हठ के कारण हमारे देशवासी तीसरी बार गदर देखने को विवश होंगे। कहीं ऐसा न हो कि पूरा भारत क्रोध में आकर तुम्हारे देश के सारे हैंडपंपों को उखाड़ कर तुम्हारा ढंग से बैंड बजा डाले। 

     बेचारे हैडपंप ने पाकिस्तान सरकार को आगे समझाते हुए लिखा है, कि उसे वीआरएस देने से मुल्क का आने वाला कल महफूज़ रहेगा और इस बहाने उसके बेटे टोंटी वाले नल को भी रोजगार मिल जायेगा, जिससे कि वह आवारागर्दी छोड़ कर अपने मुल्क़ की तरक्की और बेहतरी में कुछ न कुछ मदद कर पायेगा । इससे ये फायदा होगा कि तारा सिंह को जब पाकिस्तान के हैंडपंपों को वीआरएस दिए जाने का पता चलेगा, तो शायद वह हमसे भी तबाह और पिछड़े किसी और मुल्क में अपने हैडपंप उखाड़ने के शौक को पूरा करने के लिए चल पड़े और बॉलीवुड के जरिए पाकिस्तान की दुनिया भर में बार-बार, लगातार होने वाली बेइज्जती का सिलसिला खत्म हो जाए।

लेखक: सुमित प्रताप सिंह

कार्टून गूगल से साभार

शुक्रवार, 4 अगस्त 2023

मौजमस्ती दर्शन


     प्राचीन काल में चार्वाक नाम के एक ऋषि हुए थे। उन्होंने अपने चावार्क दर्शन में कहा है ‘यावद् जीवेत् सुखं जीवेत्, ऋण कृत्वा, घृतं पीवेत्’। आधुनिक काल में हमें भी उनकी विचारधारा 'जब तक जिओ सुख से जिओ, उधार लो और घी पिओ।' को चरितार्थ करनेवाले कई ऋषियों की प्राप्ति हुई है। ऐसे ऋषि राजनीति में भी अपनी गहरी पैठ जमाये हुए हैं और देश के विभिन्न प्रदेशों की सत्ता में जमे हुए अपनी हर नाकामी के लिए दूसरों को दोषी सिद्ध करने के खेल में महारत हासिल कर चुके हैं। 

     जैसे कि हर विभाग में दो प्रकार के जीव होते हैं। इनमें पहले प्रकार के जीव अपने विभागीय कार्य को बड़े ही परिश्रम से करते हुए अपने काम से काम रखने के आदी होते हैं, वहीं दूसरे प्रकार के जीव कुछ भी करने के बजाय इधर-उधर उछल-कूद मचाते हुए बड़े अधिकारियों की चमचागीरी और उनके कान फूँककर ही अपने कार्यालय के अनमोल समय को व्यतीत करते हैं। अब न जाने विभाग के ये उछल-कूद मचाऊ कर्मचारी इन राजनीतिक ऋषिओं से प्रभावित हैं या फिर राजनीतिक ऋषि महाराज स्वयं इन कर्मचारियों से प्रेरणा प्राप्त कर रहे हैं।

     इन राजनीतिक ऋषियों ने ऋषि चावार्क के सुविधावादी विचारों से प्रेरणा लेकर कलियुग में 'मौजमस्ती दर्शन' का सृजन कर लिया है। वैसे तो आधुनिक पीढ़ी पर अक्सर ये आरोप लगाया जाता है, कि वो अपनी प्राचीन परंपराओं से कटती जा रही है, लेकिन आधुनिक युवा पीढ़ी के प्रतिनिधि राजनीतिक ऋषियों ने अपनी इस प्राचीन चार्वाकी परंपरा का मान रखते हुए उपरोक्त दर्शन के माध्यम से इस अद्भुत प्राचीन संस्कार को जीवन प्रदान किया है। हो सकता है कि आनेवाले समय वे अपने इस दर्शन का थीम सॉन्ग 'मस्तराम मस्ती में, आग लगे बस्ती में' को ही बना लें।

     बहरहाल ये सभी राजनीतिक ऋषि सत्ता का सदुपयोग करते हुए ‘मौजमस्ती दर्शन’ को चरितार्थ करते हुए हजारों की मदिरा एक दिन में ही डकार जाते हैं। बेशक चाहे इनके प्रतिनिधि क्षेत्र में बच्चियाँ भूख से बिलबिला कर अपने प्राण त्याग दें पर ये राजनीतिक ऋषि छप्पन भोग लगाना और उन भोगों को बिना डकार लिए हजम कर जाना अपना परम कर्तव्य समझते हैं। इनका मानना है कि छोटी-मोटी बातों अथवा घटनाओं से ‘मौजमस्ती दर्शन, पर बिलकुल भी आँच नहीं आनी चाहिए। ऋषि चार्वाक भी स्वर्ग में अपने साथियों से उधार लेकर घृतपान करते हुए वहाँ से अपने कलियुगी शिष्यों और उनके अद्भुत कार्यों को देखकर धन्य होते हुए मंद-मंद मुस्कुराते रहते हैं।

लेखक : सुमित प्रताप सिंह

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