बुधवार, 1 अक्टूबर 2025

चौथा पुतला



    स बार दशहरे के अवसर पर स्त्रियों से पीड़ित पुरुषों की इच्छा है कि रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों के साथ रावण का स्त्री स्वरूप एक चौथा पुतला भी दहन के लिए खड़ा किया जाए। 

इस पुतले का दसवां सिर किसी ऐसी स्त्री का हो जिसे उसके पति ने अपनी जमापूंजी खर्च करके खूब पढ़ाया-लिखाया हो और उसके बाद वह इस काबिल हो गई कि किसी सरकारी विभाग में अफसर चुनी गई हो और अफसर बनते ही अपने पति को लात मारकर किसी अफसर के साथ ही प्यार की पींगे बढ़ा रही हो।

इस पुतले का नौंवा सिर किसी ऐसी स्त्री का हो जिसका शादी से पहले ही किसी और पुरुष से पक्का वाला याराना चल रहा हो और मा-बाप के द्वारा विवशता में शादी करने के बाद जो अपने पति को पहाड़ों पर हनीमून मनाने के बहाने ले जाकर किसी ऊंचे पहाड़ से उसको धक्का देकर उसका राम नाम सत्य कर चुकी हो।

इस पुतले का आठवां सिर किसी ऐसी स्त्री का हो जो अपने त्रिया चरित्र को नया आयाम देकर अपने पति को इतना अधिक परेशान कर उसका जीना मुश्किल कर चुकी हो, कि अंततः उसे वीडियो बनाकर अपनी दुःख भरी आपबीती बताने के बाद आत्महत्या करने के लिए विवश कर चुकी हो।

इस पुतले का सातवां सिर किसी ऐसी स्त्री का हो जो पतिव्रता का अभिनय करने में राष्ट्रीय पुरस्कार पाने की दावेदारी करे और पति के घर से बाहर होने पर पराए मर्दों संग प्रेम का नया अध्याय लिखे। या यूं कहें कि ऐसी स्त्री जो सबके सामने सती सावित्री बनने का ढोंग करे और अपने कर्मों से नगर वधुओं को मात दे।

इस पुतले का छठा सिर ऐसी स्त्री का हो जो यौन शोषण के झूठे आरोप लगा कर अधिक से अधिक पुरुषों के जीवन की नैया डुबो चुकी हो।

इस पुतले का पांचवां सिर किसी ऐसी स्त्री का हो जो अपने पति और ससुराल के अन्य सदस्यों को धीमा विष खिलाते हुए पुण्य कमाने के उपक्रम में लगी हुई हो।

इस पुतले का चौथा सिर किसी ऐसी स्त्री का हो जो दहेज मांगने का झूठा आरोप लगा शादी के मंडप पर पुलिस को बुला कर दूल्हे और उसके परिवार वालों को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म स्थान की यात्रा पर भिजवा कर अपने बॉय फ्रेंड संग गुलछर्रे उड़ाए।

इस पुतले का तीसरा सिर किसी ऐसी स्त्री का हो जो स्वयं को चोटिल करके पुलिस वालों को नियमित रूप से अपने ससुराल में चाय पीने का अवसर प्रदान कर ससुराल पक्ष की ढंग से इज्जत उतरवाए।

इस पुतले का दूसरा सिर किसी ऐसी स्त्री का हो जिसने केवल इस उद्देश्य से शादी की हो कि कुछ दिनों बाद अपने पति से तलाक़ लेकर उससे अच्छी खासी संपत्ति एल्युमनी के रूप झटक कर अपना बाकी जीवन अय्याशी से व्यतीत करे।

इस पुतले का पहला अर्थात मुख्य सिर प्रतीक रूप में किसी ऐसी स्त्री का हो जो मां, बहन या सहेली की भूमिका निभाते हुए उपरोक्त वर्णित स्त्रियों को उनके पुरुष मिटाओ पावन अभियान में भरपूर सहयोग करे।

रावण के स्त्री स्वरूप इस पुतले पर अग्नि बाण चलाने का सौभाग्य किसी ऐसे पुरुष को प्रदान किया जाए जो किसी स्त्री द्वारा झूठे आरोप में फंसाए जाने के बाद वर्षों तक जेल में रहने का सुख भोग कर आया हो। इस पुतले के थोड़ी दूरी पर एक डांस फ्लोर भी बनवाया जाए ताकि जब रावण के स्त्री स्वरूप इस पुतले का दहन किया जाए तो स्त्रियों द्वारा पीड़ित पुरुष नाचते हुए "सियापति रामचंद्र की जय!" का जयकारा पूरी उमंग व जोश के साथ लगा सकें।

लेखक - सुमित प्रताप सिंह 

चित्र - Meta AI से साभार 

1 टिप्पणी:

Bulaki Sharma ने कहा…

स्त्रियां भी पुरुषों पर अत्याचार करती हैं। रावण जैसी राक्षसी प्रवृति की स्त्रियों पर करारा व्यंग्य।

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