उसके पास स्मार्ट फोन नहीं था, वरना वह भी एक अदद सेल्फ़ी तो ले ही लेता। पर उसका सामर्थ्य स्मार्ट फोन लेने का होता तब न। वह तो भूखा था। शायद कई दिनों से भूखा होगा बेचारा। हो सकता है भूख उसके संग सेल्फ़ी ले-लेकर ऊब गई होगी। इसलिए भूख ने भी तंग होकर उसे दुत्कार दिया होगा, सो विवश होकर वह भोजन के कुछ टुकड़ों की आस में इधर-उधर बेचैन हो भटक रहा था। जब भटकाव को मंजिल हासिल नहीं हुई तो अपने भूख से तड़पते हुए पेट के लिए उसने कुछ चावल चुरा लिए और वह बिना तजुर्बे का चोर झट से पकड़ लिया गया।
वैसे भी अपने देश की विशेषता है कि यहाँ चोर और उसके द्वारा किस स्तर पर चोरी की गई है ये देखकर उससे उसी के अनुसार बर्ताव किया जाता है। सो उस भूखे-नंगे चोर ने कुछेक चावल चुराकर इतना बड़ा पाप किया था कि वो माफी के लायक ही नहीं था। अगर वह करोड़ों-अरबों घोटाला करता तो सालों-साल कोर्ट में उस पर घोटाला के आरोप को साबित करने में बीत जाते। उम्र के आखिरी पड़ाव में अगर उसके जेल जाने की नौबत आती भी तो वह जेल में निश्चिंत होकर चैन की बंशी यह सोचते हुए बजाता कि बेशक वह जेल में है लेकिन उसने अपने परिवार को इस योग्य बना डाला कि उसकी कई पीढ़ियाँ बैठे-बैठे हलवा-पूरी खायेंगीं।
अगर वह किसी बैंक के करोड़ो-अरबों रुपयों का गबन करता तो सरकारी तंत्र उसके क़दमों में फूल बिछाकर उसकी अगवानी करते हुए विदेश भागने में निष्ठापूर्वक उसकी हर संभव सहायता करता। विदेश में अरबों-करोड़ों रुपयों से खेलते हुए ऐशो-आराम से उसकी बाकी जिंदगी कटती और वह कभी मुड़कर भी इस देश की ओर नहीं झाँकता। फिर उसके खिलाफ बेशक चाहे जितनी जाँच कमेटियाँ गठित कर दी जातीं या फिर उसको धर-पकड़ने के लिए अभियान चलाये जाते। वह विदेश में बैठे-बैठे ही ठेंगा दिखाता और सरकार बेचारी साँप के निकल जाने पर लकीर को पीटती रहती।
सोचिए कि अगर वह घोटाला करता या फिर बैंक का धन हड़पता तो रातों-रात खबरपिपासु मीडिया द्वारा स्टार बना दिया जाता। टी.आर.पी. सुंदरी उसकी सेवा-सुश्रुषा करते हुए उसे अपनी बाहों में भर लेती और दिन-रात उसके क़दमों में ही पड़ी रहती। पर वह ऐसा कुछ न कर सका। उस मैले-कुचैले और अधनंगे इंसान ने अपनी औकात के हिसाब से ही चोरी करने के बारे में सोचा। उसने धृष्टता की और जैसे चूहा रोटी लगाकर रखे हुए पिंजरे में अचानक फँसकर कैद कर लिया जाता है, वैसे ही उस भूखे चोर को भी इंसानों के वेश में धरती पर टहलते हुए शैतानों ने पकड़कर अपने शैतानी शिकंजे में जकड़ लिया। उसे उसके उस घोर पाप के लिए बन्धक बनाकर मारा-पीटा गया। उसे पीटते-पीटते उन शैतानों द्वारा अपने उस वीरतापूर्ण कार्य को यादगार बनाने के लिए पाप भरी सेल्फ़ी ली गई।
पिटते-पिटते भूख से अधमरा वो पापी चोर बिलकुल ही मर गया। उसके मरने के बाद केवल बाकी बची शैतानों द्वारा खींची गई उसकी वो पाप भरी सेल्फ़ी, जिसे देखकर धरती माँ का दुःख और पीड़ा के मारे कलेजा फट गया और मानवता शर्मसार हो अपनी छाती पीट-पीटकर रोयी। पर उस चोर की आत्मा अपने भूख से कंकाल बन चुके निर्जीव शरीर को देखकर इस बात से प्रसन्न थी कि कम से कम अब तो उसे भूख से यूँ बार-बार नहीं मरना पड़ेगा।
लेखक - सुमित प्रताप सिंह
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