जिले - भाई नफे!
नफे - हां बोल भाई जिले!
जिले - एक प्रश्न पूछना है।
नफे - पूछ भाई!
जिले - साहित्य को समर्पित एक व्हाट्सएप समूह में एक सत्र के दौरान समूह के सदस्यों से एक प्रश्न पूछा गया था।
नफे - क्या प्रश्न पूछा गया था?
जिले - प्रश्न था कि क्या साहित्यिक व्हाट्सएप समूह गंभीर साहित्यिक विमर्श की दिशा में काम कर पा रहे हैं या ये यूं ही कुछ मित्रों की आपसी वाह-वाह या सूचनाओं के आदान-प्रदान का माध्यम बनकर रह गए हैं?
नफे - इस प्रश्न का उत्तर हम साहित्यिक व्हाट्सएप समूहों में सम्मिलित विभिन्न प्रकार सदस्यों के विषय में चर्चा करते हुए जानने और समझने का प्रयत्न करेंगे।
जिले - तो इसका शुभारम्भ कर डाल।
नफे - साहित्यिक व्हाट्सएप समूह में गंभीर विमर्श में बात की जाए तो पहली प्रकार के संभवतः बीस प्रतिशत सदस्य ही ऐसे होते हैं जो गंभीर पाठक होते हैं जिनके कंधों पर साहित्यिक विमर्श की जिम्मेदारी रहती है।
जिले - भाई, बाकी अस्सी प्रतिशत सदस्यों के विषय में भी तनिक ज्ञानवर्धन हो जाए।
नफे - दूसरी प्रकार के सदस्य वे उदार पाठक होते हैं जो हर रचना पर वाह-वाह की वर्षा करते हैं।
जिले - लगता है कि ये उदार पाठक बहुत ही सकारात्मक सोच के होते हैं।
नफे - हां भाई, इन उदार पाठकों को किसी भी रचना में कोई कमी या सुधार की संभावना नहीं दिखाई देती। वैसे लेखक न तो इन उदार पाठकों की प्रशंसा को गंभीरता से लेते हैं और न ही आलोचना को।
जिले - भाई, अब आगे बढ़ा जाए?
नफे - तीसरे प्रकार के सदस्य अपने पक्ष के रचनाकार की वाह-वाह करने में जुटे रहते हैं और अपने विरोधी रचनाकार की रचना पर हाय-हाय करते हुए हल्ला-गुल्ला मचाते हैं।
जिले - मतलब कि ये सदस्य गुटबाजी के पक्के पैरोकार होते हैं।
नफे - बिलकुल ठीक समझा। चौथे प्रकार के सदस्य पोस्टर बाज होते हैं। ये बीच-बीच में समूह में उपस्थित होते हैं और अपने कारनामों का पोस्टर ग्रुप में चिपका कर झट से नौ दो ग्यारह हो जाते हैं।
जिले - हा हा हा, गजब टाइप के जीव हैं ये पोस्टर बाज सदस्य।
नफे - पांचवे प्रकार के सदस्य गुप्तचर टाइप के होते हैं जो समूह की गुप्त सूचनाओं को अपने मठाधीश व अनुयायियों के बीच नियमित रूप से सप्लाई करते रहते हैं।
जिले - हा हा हा, इन गुप्तचर टाइप के सदस्यों का यदि देश की गुप्तचर एजेंसियां लाभ उठाएं तो देश का शायद कुछ भला हो जाए।
नफे - ये सदस्य देश का भला करने के बजाय उसका बंटाधार करने में ही अधिक रुचि लेंगे।
जिले - ये भी सही कहा। अच्छा अब तनिक अन्य सदस्यों के प्रकार के बारे में भी बात हो जाए।
नफे - छठे प्रकार के सदस्य सुप्तावस्था में होते हैं जो तभी जाग्रत होते हैं जब उनकी रचना पर कोई बात की जाए।
जिले - ये तो बड़े ही स्वार्थी प्रकार के सदस्य होते हैं।
नफे - है तो कुछ ऐसा ही। बाकी बचे सातवें प्रकार के सदस्य ऐसे होते हैं जिन्हें इतने सारे ग्रुपों में जबरन पकड़ कर सम्मिलित कर दिया जाता है, कि वे बेचारे ये निश्चित ही नहीं कर पाते कि किस ग्रुप में सक्रिय रहें या किस ग्रुप में असक्रिय।
जिले - हा हा हा, और हम जिले-नफे सातवें प्रकार के सदस्यों की श्रेणी में ही आते हैं।
नफे - बिलकुल ठीक पहचाना।
लेखक - सुमित प्रताप सिंह