Pages

गुरुवार, 10 जनवरी 2013

अलविदा ओ दामिनी



12 टिप्‍पणियां:

  1. दामिनियां तो जन्‍म फिर लेगी लेकिन इस बार उन्‍हें महिषासुर मर्दिनी बनना होगा। बहुत अच्‍छा प्रयास है आपका।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत प्रभावी और सशक्त प्रस्तुति....

    जवाब देंहटाएं
  3. अरे वाह .......आपकी नयी नयी विधाओं जानकारीयां मिल रहीं रहीं है ... bahut khub sir ji.

    जवाब देंहटाएं
  4. DEKHO DESH YE JAAG RAHA HAI DAMINI, MAN KA ANDHERA BHAAG RAHA HAI DAMINI..... BAHUT HI ACHCHE BOL, BAHUT HI ACHCHI DHUN AUR SANGEET AUR SABSE ACHCHI AWAAJ........ PRASTUTIKARAN KI TO BAAT HI KYA.... AAPKI NAYI NAYI VIDHAO KEE JANKARIYA MIL RAHI HAI.... SACHMUCH JITNA AAPKE BAARE MEI JANTA JA RAHA HOON UTNA HI AAPKA DEEWANA "FAN" HOTA JA RAHA HOON...... AAPKE PRAYAS (HAR KSHTRA क्षेत्र MEI)SARAHNIYE/PRASHSNIYE HAI..... IS KSHDHANJLI GEET KE LIYE MERI BADHAI SWEEKAREN.

    जवाब देंहटाएं
  5. achha pryaas Sumit.manav bhesh mei saap sabhi ko daste hain ...............sach hi hai ....badhai is pryaas hetu

    जवाब देंहटाएं
  6. शब्द रचना सहित खूबसूरत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. आप सभी का इतना सारा स्नेह मिला. आप सभी का हृदय से आभार...

    जवाब देंहटाएं
  8. भाई सुमित बहुत बढि़या गीत है। आपके गंभीर शब्द‍, आपकी भावनाएं, आपकी आवाज़ सचमुच मन को कुछ पल के लिए सुन्न कर देती है। सोचने के लिए विवश कर देती है। आपकी व्यंग्य विधा से तो हम परिचित थे, लेकिन इस तरह का प्रयोग हम पहली बार देख रहे हैं, बहुत अच्छा लगा। बहुत बहुत बधाई देते हैं ऐसे ही लगे रहो, कामयाबी ज़रूर मिलेगी।



    जवाब देंहटाएं