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शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

गीत : अभी असल तो है बाकी

जब 56 इंची सीनों ने
गोलीं बंदूक से दागीं 
दहशतगर्दों के अब्बू भागे
और अम्मी खौफ से काँपीं
ये तो सिर्फ नमूना था
अभी असल तो है बाकी...

धोखेबाजी और कायरता 
जिन दुष्टों के गहने थे
गीदड़ बनकर ढेर हुए 
जो खाल शेर की पहने थे 
हमपे गुर्रानेवालों की रूहें 
हूरों से जा मिलने भागीं 
ये तो सिर्फ नमूना था
अभी असल तो है बाकी...

नापाक पडोसी देता धमकी
एटम बम बरसाने की 
जबकि औकात नहीं उसकी 
खुद के बल रोटी खाने की
अब जान बचाने की चिंता में
डूबा होगा वो पाजी
ये तो सिर्फ नमूना था
अभी असल तो है बाकी...

शांतिवार्ता में खोकर 
हमने तो वक़्त गुजारा है
और उस बैरी ने धोखे से
खंजर ही पीठ में मारा है
ख़त्म करेंगे अब मिलके
उस मुद्दई की बदमाशी
ये तो सिर्फ नमूना था
अभी असल तो है बाकी...


दुनियावालो तुम ही समझा दो
अब भी वो होश में आ जाए
चरण वंदना कर भारत की
माफ़ी की भीख को ले जाए
वरना क्षणों में मिट जाएगा
दुनिया से मुल्क वो पापी
ये तो सिर्फ नमूना था
अभी असल तो है बाकी...
लेखक : सुमित प्रताप सिंह